दाना मिश्रण के अलावा संतुलित आहार हेतु चारे की पौष्टिकता का अलग महत्व है, अत: हमें चारे की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए। जहाँ हम हरे चारे से पशुओं के स्वास्थय एवं उत्पादन ठीक रख सकते हैं वहीं दाना – चुनी व अन्य कीमत खाद्यान की मात्रा को कम करके पशु आहार की लागत में भी बचत कर सकते हैं। बहुवर्षीय घासें का कृषियोग्य भूमि का उपयोग करके कम लागत में पूरे वर्ष हरा चारा प्रदान कर सकती है इस घासों से जाड़ों के मौसम में पर्वतीय क्षेत्रों तथा मैदानी भागों में गर्मी के मौसम में पर्वतीय क्षेत्रों तथा मैदानी भागों में गर्मी के मौसम में भी बराबर हरा चारा घास प्राप्त होता रहता है। इस फसलों की एक बार बुवाई करके बार – बार बूवैके खर्चे से भी बचा जा सकता है और पौष्टिकता अन्य चारों की अपेक्षा अधिक होती है, फलत: पशु के दुग्ध उत्पादन व स्वास्थ्य पर भी लाभकारी प्रभाव पड़ता है।
फसल |
प्रजातीय |
बुवाई का समय |
बीज मात्रा कि.ग्रा./है |
खाद की मात्रा कि.ग्रा./ है |
उपज |
संकर नैपियर बाजरा |
को – 1, 2, 3, आई जीएफ आर आइ 7, 10 पीबीएम – 83, 233, 239 एन बी – 21 |
मार्च से अक्टूबर |
40,000 जोड़े 40,000 जोड़े |
नत्रजन – 20, फोसफो – 15 लगाते समय एवं प्रत्येक कटान के बाद, नत्रजन – 30 |
150 – 180 (शुद्ध) 180 – 280 (दूसरी फसलों के साथ) |
ज्वार एक कटान वाली |
पीसी – 6,9,23 एचसी – 136, 151 पंतचरी ¾, को 27, सीएसवी – 15 |
मार्च से जुलाई |
25 – 30 |
नत्रजन – 60 फोसफो – 30 |
30 – 50
|
ज्वार की बार कटाने वाली |
एसएसजी – 593 प्रोएग्रो – 855 प्रोएग्रो एक्स – 988 एसएसजी - 898 |
मार्च से जुलाई |
25 – 30 |
नत्रजन – 60 फोसफो – 30 एवं नत्रजन – 30
|
50 – 30 |
बाजरा |
एल – 74 राजस्थान – 171 |
अप्रैल से जुलाई |
8 – 10 |
नत्रजन – 40 फोसफो – 20 |
25 – 50 |
बरसीम |
बीएल – 1,10, 22 जेबी – 1,2.3 यूपीबी 110,मस्काबी |
अक्टूबर से नवंबर |
20 -25 |
नत्रजन – 30 फोसफो – 80 |
70 – 110 |
रिजका |
वार्षिक आनूंद – 2,3 को 1, एलएच – 84 एल. एल. सी. – 3, 5 बहुवर्षी टी – 9 |
अक्टूबर से नवंबर |
20 – 25 |
नत्रजन – 30 फोसफो – 80 |
60 -80 (वार्षिक) 80 – 110 |
जई |
यूपीओ – 94, 212 ओएस – 6, 7 ओएल – 9 |
अक्टूबर से नवंबर |
80 – 90 |
नत्रजन – 80 फोसफो – 40 |
30 – 45 |
पशुओं में हरे चारे का होना अत्यंत आवश्यक है। यदि किसान चाहते हैं कि उनके पशु स्वस्थ्य रहें व उनसे दूध एवं मांस का अधिक उत्पादन मिले तो उनके आहार में वर्ष भर हरे चारे को शामिल करते रहें। मुलायम व स्वादिष्ट होने के साथ – साथ सुपाच्य भी होते हैं। इसके अतिरिक्त इनमें विभिन्न पौष्टिक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं। जिनसे पशुओं की दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है और खेती में काम न करने वाले पशुओं की कार्यशक्ति भी बढ़ती है। दाने की अपेक्षा हरे चारे से पौष्टिक तत्व कम खर्च पर मिल सकते हैं। हरे चारे का अभाव में पशुओं का विटामिन ए का मुख्य तत्व केरोटिन काफी मात्रा में मिल जाता है। हरे चारे के अभाव में पशुओं का विटामिन ए प्राप्त नहीं हो सकेगा और इससे दोध उत्पादन में भारी कम आ जाएगी, साथ ही पशु विभिन्न रोगों से भी ग्रस्त हो जायेगा। गाय व भैंस से प्राप्त बच्चे या तो मृत होंगे या वे अंधे हो जायेंगे और अधिक समय तक जीवित भी नहीं रह सकेंगे। इस प्रकार आप देखते हैं कि पशु आहार में हर चारे का होना कितना आवश्यक है।
साधारणत: किसान भाई अपने पशुओं को वर्ष के कुछ ही महीनों में हरा चारा खिला पते हैं इसकामुख्य कारण यह है कि साल हरा चारा पैदा नहीं कर पाते। आमतौर पर उगाये जाने वाले मौसमी चारे मक्का, एम. पी. चरी, ज्वार, बाजरा, लोबिया, ग्वार, बरसीम, जई आदि से सभी किसान भाई परिचित हैं। इस प्रकार के अधिक उपज वाले पौष्टिक उन्नतशील चारों के बीज छत्तीसगढ़ पशुपालन विभाग व राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा किसानों को उपलब्ध कराए जाते है जिससे वह अपने कृषि फसल चक्र के अंदर अधिक से अधिक उठा सकते हैं जिससे अधिक से अधिक पशुओं के पोषण की पूर्ति हो सके और दूध एवं मांस उत्पधं में सहायता मिले।
संतुलित पशु आहार से जानवर स्वस्थ रहते हैं व उनका अच्छा विकास होता है। यह गर्भ में पल रहे बच्चे के समुचित विकास के लिए भी बहुत उपयोगी है।
अंतिम सुधारित : 2/22/2020
इस पृष्ठ में 20वीं पशुधन गणना जिसमें देश के सभी रा...
इस लेख में कृत्रिम गर्भाधान का पशु विकास कार्य में...
इस पृष्ठ में कैसीन से व्युत्पन्न जैव सक्रिय पेप्टा...
इस पृष्ठ में अजोला –पशुधन चारे के रूप में के बारे ...