एक मिशन मोड परियोजना (एमएमपी) राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) के अंदर एक वैयक्तिक परियोजना है जो बैंकिंग, भूमि अभिलेख या वाणिज्यिक कर आदि के एक पक्ष पर केन्द्रित है।
एनईजीपी के अंदर ''मिशन मोड'' का अर्थ है वे परियोजनाएं जिनमें उद्देश्यों, विस्तारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है और इनके कार्यान्वयन की समय सीमा तथा पड़ाव और मापन योग्य परिणाम तथा सेवा स्तर भी परिभाषित हैं।
एनईजीपी में 31 मिशन मोड परियोजनाएं (एमएमपी) हैं, जिन्हें पुन: राज्य, केन्द्र या समेकित परियोजनाओं में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक राज्य सरकार पांच विशिष्ट एमएमपी को वैयक्तिक जरूरतों के अनुसार भी परिभाषित कर सकती है। इसमें समेकित मिशन मोड परियोजना (समेकित एम एम पी) के अंतर्गत आनेवाले विषय इस प्रकार है -
राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) भारत सरकार के द्वारा आम आदमी के लिए सभी सरकारी सेवाओं को अपने इलाके में सुलभ बनाने के उद्देश्य से बनाई गयी है | यह सेवाए वितरण आउटलेट के माध्यम से सस्ती कीमत पर दक्षता ,पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित कर आम आदमी की बुनियादी जरूरतों का एहसास दिलाती है | इन लक्ष्यों को पूरा करने में सरकार के विभिन्न विभागों जैसे कि केन्द्र , राज्य और स्थानीय स्तर के सहयोग तथा एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है | विभिन्न भौगोलिक स्थानों ,प्रौद्योगिकियों और विषम प्लेटफार्मों में विशेषता सिस्टम को सरकार की विरासत प्रणालियों का उपयोग स्वचालन तथा चुनौतीपूर्ण कार्य के लिए जा रहा है | राष्ट्रीय ई-शासन सेवा वितरण गेटवे (एनएसडीजी), एनईजीपी के तहत एक मिशन मोड परियोजना है जो कि डेटा के अंतर विनिमय मानकों पर आधारित संदेश स्विच के रूप में सहजता से कार्य को आसान बनाने में अग्रसर है |
राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) के तहत विभिन्न ई-शासन अनुप्रयोगों को नागरिकों के लिए वहनीय लागतों पर सरकारी सेवाओं की तीव्र प्रदायगी हेतु कार्यान्वित किया जा रहा है।
एनईजीपी की संकल्प ना साकार करने के लिए यह अनिवार्य है कि केन्द्र , राज्य और स्थानीय सरकार के विभिन्न विभाग विभिन्न स्तरों, डोमेन और भौगोलिक परिस्थितियों में सूचना देने में सहयोग, सहायता और समेकन करे। राष्ट्रीय ई-शासन सेवा प्रदायगी गेटवे (एनएसडीजी) एक मानक आधारित (आईआईपी / आईआईएस / आईजीआईएस) मेसेजिंग स्विच है जो अबाधित अंत:प्रचालनीयता तथा भौगोलिक दृष्टि से फैले हुए विभागों के विषम प्रकार के आवेदनों में डेटा के आदान प्रदान की सक्षमता प्रदान करेगा।
भारत सरकार की विभिन्न इकाइयों की 5000 से अधिक वेबसाइट इंटरनेट पर उपलब्ध हैं, जिसमें मंत्रालय, विभाग, राज्य / संघ राज्य क्षेत्र, जिला प्रशासन, संगठन शामिल हैं। नागरिकों को इन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए अनेक वेबसाइटों पर खोजबीन और ब्राउज करना होता है। भारतीय राष्ट्रीनय पोर्टल 5000 से अधिक वेबसाइटों के लिए एकल विंडो एकीकृत इंटरफेस प्रदान करता है और इस प्रकार नागरिकों को होने वाली असुविधा कम की जाती है। यह पोर्टल विभिन्न केन्द्रीय / राज्य / संघ राज्य क्षेत्र सरकारों की योजनाओं और कार्यक्रम के तहत ई-शासन प्रयासों को एक युक्ति संगत अग्रणी पृष्ठय के रूप में कार्य करता है। भारतीय राष्ट्रीय पोर्टल के लाभार्थियों की सूची लंबी है, जिसमें सामान्यक नागरिको के अलावा सरकारी विभाग, नैगम क्षेत्र, अनिवासी भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया तथा दुनिया भर की आम जनता है।
राष्ट्रीय पोर्टल में सहज पहुंच, सेवाओं की उन्नसत गुणवत्ता और सरकारी सूचना और सेवाओं की विविधता के लिए एक सुविधाजनक एकल विंडो पहुंच प्रदान करने के लिए अनोखी विशेषताएं डाली गई हैं। यह दस्तावेजों, प्रपत्रों, सेवाओं, अधिनियमों, घोषणाओं, संपर्क निदेशिकाओं, योजना और नियमों का केन्द्रीय संग्रह है।
विदेशी व्यापार के क्षेत्र में व्यापार संबंधी लेन देन के प्रभावी और दक्ष माध्यम की सुविधा प्रदान करने हेतु इलेक्ट्रॉनिक व्यापार (ई ट्रेड) की संकल्प्ना की गई थी। ई ट्रेड परियोजना के कार्यान्वयन हेतु वाणिज्य विभाग नोडल एजेंसी है। इस परियोजना का कार्यान्वयन व्यापार विनियामक और सुविधा प्रदान करने वाली एजेंसियों से जैसे सीमा शुल्क,पत्तन,हवाई अड्डा, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी), बैंक, संबंधित भारतीय कंटेनर निगम (कॉनकोर), निर्यात संवर्धन संगठनों आदि द्वारा किया जा रहा है जो परियोजना के समुदाय भागीदार हैं। समुदाय के भागीदारों ने आंतरिक संसाधनों की अपनी प्रणालियों का विकास किया है। ई ट्रेड परियोजना में इन समुदाय भागीदारों को आपस में जोड़ा जाता है और उन्हें वेब या एफटीपी के जरिए आदान प्रदान के संदेश भेजने की सुविधा दी जाती है।
परियोजना की प्रमुख गतिविधियां जून 2011 में पूरी होने की आशा है। इस परियोजना को स्वयं समर्थन आधार पर कार्यान्वित किया जा रहा है और भागीदार एजेंसियों तथा विभागों द्वारा निधियां प्रदान की जा रही हैं।
विभिन्न व्यापार विनियामक और सुविधा प्रदानकर्ता एजेंसियों ने अपने बीच तथा व्यापार समुदाय के साथ इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेस स्थारपित किए हैं ताकि सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक प्रदायगी हो सके।
विभिन्न अध्ययनों मे आकलन किया गया है कि दुनिया भर के सरकारी प्रापण राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पा्द का 5-15 प्रतिशत होता है। भारत के लिए सरकारी प्रापण का अनुमान सकल घरेलू उत्पाद के 3.4 प्रतिशत से 5.7 प्रतिशत के बीच है। अत: सरकारी एजेंसियों द्वारा वस्तुसओं और सेवाओं की प्राप्ति की दक्ष प्रथाएं होना इस दृष्टिकोण से महत्वरपूर्ण है कि वस्तुओं और सेवाओं के प्रापण की लागत में कमी की जाए, अनुकूलतम लोक सेवाओं की आपूर्ति और लोक निधि का उपयोग, सरकारी संविदाओं में प्रतियोगिता के लिए आपूर्तिकारों को बराबर अवसर दिए जाएं, प्रापण इकाइयों में अच्छी शासन इकाइयों को बढ़ावा दिया जाए, भ्रष्टाचार को कम किया जाए, प्रापण प्रक्रियाओं को कानूनी दर्जा प्रदान किया जाए, पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए इसके जरिए विदेशी निवेश और भागीदारी को भी आकर्षित किया जाए। वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय (वाणिज्य विभाग) को ई-शासन प्रापण (ई-जीपी) मिशन मोड परियोजनाओं (एमएमपी) के कार्यान्वयन हेतु नोडल मंत्रालय के रूप में नामांकित किया गया है। ई-जीपी एमएमपी के पणधारियों में केंद्र सरकार के विभाग, राज्य सरकार के विभाग, केंद्र और राज्य सरकारों के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम केंद्र और राज्यर सरकारों के स्वायत्त संगठन और देश विदेश में फैले हुए विक्रेता, जो हैं एमएनसी, एसएमई तथा अत्यंकत लघु इकाइयां।
ई-प्रापण एमएमपी की संकल्प्ना "इलेक्ट्रॉनिक सरकारी प्रापण के उपयोग द्वारा प्रापण सुधारों के कार्यान्वयन हेतु एक राष्ट्रीय प्रयास का सृजन करना ताकि सभी क्षेत्रों में लोक प्रापण को दक्ष और पारदर्शी बनाया जा सके" है।
ई-न्यायालय मिशन मोड परियोजना (एमएमपी) की संकल्पकना प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा भारतीय न्याय पालिका को रूपांतरित करने के दृष्टिकोण के साथ की गई थी। परियोजना का विकास किया गया और उसके बाद भारतीय न्याय पालिका में सूचना संचार के कार्यान्वयन पर राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना में उच्चतम न्यायालय के अधीन ई-समिति द्वारा रिपोर्ट जमा की गई।
ई-न्याययालय एक समेकित एमएमपी का स्प्ष्ट, उद्देश्य है - न्याय पालिका के प्रक्रमों को रि-इंजीनियर करना तथा इस की उत्पायदकता को मात्रात्मक और गुणात्मक रूप से बढ़ाकर न्याय प्रदायगी प्रणाली को वहनीय पहुंच योग्यक, लागत प्रभावी, पारदर्शी और जबावदेह बनाना।
परियोजना का विस्तारर पूरे देश के न्यायालयों में स्विचालित निर्णय लेने और निर्णय समर्थन प्रणाली का विकास, प्रदायगी, स्थानपना और कार्यान्व्यन करना है। ई-न्यायालय परियोजना में तालुक स्तर से शीर्षतम न्याययालय तक बीच के सभी न्याययालय में डिजिटल आपसी जुड़ाव सुनिश्चित करना निहित है।
औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निष्पाधदित ई-बिज़ मिशन मोड परियोजना को इस संकल्पना के साथ संकल्पित किया जा रहा है।
"देश में व्यापार जीवन चक्र के माध्यम से निवेशकों, उद्योगों और व्यापार के लिए दक्ष, कुशल, सुविधाजनक, पारदर्शी और एकीकृत इलेक्ट्रॉनिक सेवाओं को प्रदान करने से कारोबारी माहौल में बदलना"।
ई-बिज़ ई–शासन को ऑनलाइन लेनदेन को सरकार के रूप परिवर्तन से आगे ले जाता है।
भारत सरकार की राष्ट्रीय ई-शासन योजना में इनके लिए एक स्पष्ट् संकल्पना है- कृषि, स्वास्थ्य , शिक्षा, मनोरंजन, एफएमसीजी उत्पादों, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं, यूटिलिटी भुगतान आदि के क्षेत्रों में नागरिकों को एक वहनीय लागत पर सभी सरकारी, सामाजिक और निजी क्षेत्र सेवाएं प्रदान करना और पहुंच योग्य बनाना। इस आशय के साथ ग्राम स्तर पर सुचारू और पारदर्शी शासन प्रदान करने वाले फ्रंट एंड सेवा प्रदायगी आउटलेट की संकल्प्ना की गई थी।
एक अबाधित नागरिक केंद्रित झुकाव से सीएससी योजना एनईजीपी का एक महत्वपूर्ण आधार बना गई है और यह एक मुख्यि मूलसंरचना स्तंभ है। इस संदर्भ में कोई शंका नहीं है कि सीएससी परियोजना ग्रामीण भारत को स्पंर्श करने का एक विशाल अवसर है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ।
योजना के तहत 600,000 से अधिक गांवों में फैले ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख से अधिक इंटरनेट समर्थित कियोस्क बनाए जा रहे हैं। एक कियोस्की से पांच से छ: गांवों के समूहों को सेवा प्रदान करने का आशय है। समेकित एमएमपी के तहत वर्गीकृत, इस योजना को कुल 5742 करोड़ रु. के परिव्यहय के साथ सितंबर 2006 में भारत सरकार का अनुमोदन दिया गया।
16 जुलाई, 2009 को निगमित योजना ने 1 जुलाई, 2010 को प्रचालन आरंभ किए। यह सीएससी योजना के कार्यक्रम प्रबंधन के लिए संपर्क का एकल बिंदु है।
सीएससी एसपीवी की भूमिका है,एक प्लेटफॉर्म पर अनेक सेवाओं को समेकित करना,विभिन्न राज्य सरकारों / संघ राज्य क्षेत्रों, अनेक केंद्रीय और राज्यी विभागों, एससीए तथा ग्राम स्तर के उद्यमों (वीएलई) के प्रयासों को समेकन।
स्रोत: इलेक्ट्रॉनिकी व सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार
अंतिम सुधारित : 2/21/2020
डिजिटल इंडिया की परिकल्पना को बताया गया है|
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