देखेंआंध्रप्रदेश के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के बारे में ज्यादा जानने के लिए
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वैट की ऑनलाइन फाइलिंग सुविधा
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कर्मचारी को उनके आई.डी संख्या, नाम, स्कूल, कॉलेज या कार्यालय द्वारा ढूंढ़ने की सुविधा
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कार्ड से तात्पर्य है कंप्यूटर एडेड एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेन्ट अर्थात् निबंधन विभाग का कंप्यूटर आधारित प्रशासन। इसके तहत आँध्र प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के निबंधन विभाग में परंपरागत निबंधन पद्धति की खामियों को दूर करने के उद्देश्य से निबंधन संबंधी सभी सेवाओं के वितरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक पद्धति विकसित की गई है। इसकी शुरुआत इस उद्देश्य से की गई है ताकि निबंधन प्रक्रिया को सरल बनाई जा सके, निष्पादन कार्यों में तेजी लाई जाए, कार्मिकों की क्षमता में वृद्धि की जाए, विभाग की सादृश्यता एवं विश्वसनीयता स्थापित की जाए और विशेष रूप से नागरिक अन्तराफलक में सुधार लाया जाए। कंप्यूटर आधारित कार्ड परियोजना की शुरुआत के छह महीने के भीतर आँध्र प्रदेश के लगभग 80 प्रतिशत भूमि निबंधन पत्र के हस्तांतरण कार्य को कंप्यूटरीकृत कर दिया गया। तब से कृषि संपत्ति से संबंधित 60 प्रतिशत के करीब दस्तावेज, ऋण पत्र एवं प्रमाणित प्रति कंप्यूटरीकृत माध्यम से जारी किए गये। कार्ड परियोजना की सफलता ग्रामीण समुदाय के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि बन गई है।
इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 2002 में की गई थी। परियोजना के अंतर्गत आँध्र प्रदेश के 16 सरकारी विभागों को एकल नेटवर्क के माध्यम से जोड़ा गया है। इसके अंतर्गत जिला स्तर पर उपलब्ध सभी सरकारी दस्तावेज एवं लेन-देन की प्रक्रिया के विवरण को एक जगह केन्द्रीकृत रूप से जमा कर एकल ऑरेकल 9 आई डाटाबेस के माध्यम से संचालित किया जाता है। इस परियोजना का लक्ष्य है सरकारी कार्यालयों में कार्य कराने वाले नागरिकों के साथ शादनगर मंडल के दस गाँव, बिजनेपल्ली एवं जदचेराला मंडल (महबूबनगर जिला) के एक-एक गाँव के नागरिकों की सेवा की जाए। चुने गये इन स्थानों या गाँव के लोग विशेष रूप से तैयार किये गए इंटरनेट सुविधा युक्त कियोस्क के माध्यम से सरकारी विभागों में उपलब्ध सेवाओं का उपभोग कर सकते हैं। ग्रामीण अँग्रेजी या तेलुगु किसी भी माध्यम से ये सेवाएँ प्राप्त कर सकते हैं।
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देश में पहली बार ई-पंचायत या इलेक्ट्रॉनिक सूचना आधारित पंचायत भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) द्वारा आँध्र प्रदेश में प्रारंभ किया गया। राजधानी हैदराबाद के समीप मेडक जिले के रामचंद्रपुरम् ग्राम पंचायत में प्रायोगिक तौर पर इसका शुभारंभ किया गया। यहाँ पंचायत के सभी कार्य कंप्यूटरीकृत है और इंटरनेट की सुविधा भी है। जन्म और मृत्यु पंजीकरण, मकान कर मूल्यांकन वसूली, व्यापार अनुज्ञप्ति/लाइसेंस, वृद्धा पेंशन, कार्य निरीक्षण, वित्तीय लेखाकरण, पंचायत प्रशासन के लिए एमआईएस आदि को कंप्यूटरीकृत ई-पंचायत व्यवस्था के अंतर्गत संपादित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त लोगों को ई-पंचायत से बाज़ार मूल्य एवं कृषि विस्तार परामर्श जैसी सेवाएँ भी मुहैया कराई जा रही है। इस परियोजना को पश्चिमी गोदावरी जिले के देंडुलुरु और पेद्दपाडु तथा अनंतपुर ग्रामीण ग्राम पंचायत में क्रियान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना का विस्तार आँध्र प्रदेश के सभी गाँवों में चरणबद्ध तरीके से किया जाना है तथा उपयुक्त अनुकूलन के साथ दूसरे राज्यों में भी प्रारम्भ किए जाने की योजना है।
विजयवाड़ा ऑनलाइन इनफॉरमेशन सेन्टर (वायस) की स्थापना 1998 में स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए विजयवाड़ा शहर के महत्वपूर्ण स्थानों पर सूचना कियोस्क स्थापित करने के लिए विजयवाड़ा नगर निगम में कंप्यूटर का ढांचा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई थी। वायस से विजयवाड़ा के लोगों को मकान बनाने की स्वीकृति और जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र जैसी नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
यह संपत्ति, जल और मल निकासी कर संग्रह का काम भी संभालता है। वायस प्रणाली नागरिकों के निकट स्थापित पांच कियोस्क का उपयोग करती है। इन्हें एक वृहत क्षेत्र नेटवर्क के माध्यम से नगर निगम कार्यालय में स्थापित बैक एंड प्रणालियों से जोड़ा गया है। इस प्रणाली ने भ्रष्टाचार कम करने, सेवाओं तक आम जनता की पहुंच को आसान बनाने और नगर निगम की आर्थिक स्थिति को सुधारने में बहुत मदद की है।
इस केंद्र के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया यहां क्लिक करें-
http://www.ourvmc.org/
सौकार्यम् परियोजना की शुरू आत वर्ष 2000 में विशाखापट्टनम् नगर निगम की सभी नागरिक सुविधाएं ऑन लाइन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई थी। इस परियोजना के माध्यम से बिना किसी भाग-दौड़ के बकाये की ऑन लाइन भुगतान करने से लेकर शिकायतें दर्ज कराने और भवन निर्माण हेतु नक्शे के लिए आवेदन जमा करने तथा उनकी अद्यतन स्थिति का पता लगाने जैसी नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। इसमें अस्पतालों के लिए जन्म व मृत्यु की सूचना भेजने की ऑन लाइन सुविधा भी है, जिससे नागरिकों को प्रमाण पत्र तत्काल प्राप्त करने में सुविधा होती है। इससे नेटवर्क में शामिल बैंकों के माध्यम से निगम के बकाये का ऑन लाइन भुगतान, संपत्ति कर का भुगतान, जल कर, व्यापार अनुज्ञप्ति, विज्ञापन कर और लीज किराये के भुगतान जैसी अन्य सेवाएं भी मुहैया कराई जाती हैं।
एकीकृत भूमि सूचना प्रणाली (आइलिस) राजस्व, सर्वे, बंदोबस्त और भूमि अभिलेख तथा निबंधन विभागों के साथ राज्य में भूमि के प्रशासन से संबंधित स्थानीय निकायों के बीच वृहत अंतर संवाद का माध्यम है। आइलिस नागरिकों के लिए संपत्ति के बारे में आंकड़ों को एकत्रित, भंडारण, जांच-पड़ताल, एकीकरण, हस्तांतरण, विश्लेषण और प्रदर्शन करता है तथा इसके उपयोग, स्वामित्व और विकास की जानकारी देता है। यह प्रणाली उपयोगकर्ताओं को एक एकीकृत इंटरफेस, मूल्य आधारित सेवाओं के जरिये सेवाएं उपलब्ध कराती है।
आइलिस ने कागजी अभिलेखों के स्थान पर डिजीटल अभिलेख तैयार किया है और गांवों के लिए भौगोलिक नियंत्रण नेटवर्क बनाया है, जिससे भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआइएस) के लिए राष्ट्रीय ढांचे में सुधार हुआ। आइलिस से सर्वे और भू अभिलेख, राजस्व, स्टांप और निबंधन तथा स्थानीय निकाय के विभाग संबंधित हैं।
वर्तमान संदर्भ में, जहां राजस्व संग्रह पिछली सीट पर चला गया है, भूमि प्रशासन और सूचना सामाजिक-आर्थिक विकास उपस्कर का नया आयाम बन गया है। आइलिस अब निम्नलिखित रू प से विभिन्न अंशधारकों से जुड़ने का लक्ष्य रखता है-
(क) नागरिक - अंतिम टाइटिल और चौहद्दी उपलब्ध कराना
(ख) सरकार - विकास और कल्याण गतिविधियों की योजनाएं बनाना, पर्यावरणीय योजनाएँ, औद्योगिक विस्तार, करारोपण
(ग) बैंकिंग और वित्तीय संस्थान- कर्ज, बीमा
(घ) उद्योग- उद्यम
भू सूचना प्रणाली के लाभ और इसके प्रभाव पूरे समाज के विकास, मसलन सामाजिक स्थिरता, स्थायी विकास और आर्थिक प्रदर्शन के लिए प्रमुख स्थान हासिल कर चुका है। भू सूचना प्रणाली ने साबित किया है कि यह भू उपयोग योजना, पर्यावरणीय योजना और औद्योगिक योजना से वास्तविक संपत्ति हस्तांतरण, वास्तविक संपत्ति बंधक और वास्तविक संपत्ति बीमा की गतिविधियों में उपयुक्त हो सकता है। सरकार और उद्योग के अलावा बैंक, वास्तविक संपत्ति मध्यस्थ और बीमा कंपनियां भी इस प्रयास से बहुत लाभान्वित हो रही हैं। एक अन्य प्रमुख तत्व पारिस्थितिकी प्रणाली पर सरकार का ध्यान है, जिसमें भूमि संसाधन का दोहन और पारिस्थितकी प्रणाली पर इसके प्रभाव तथा जीवन रक्षक प्रणाली का ह्रास चिंता का विषय है। सरकार अब भू सूचना प्रणाली का उपयोग इन मुद्दों को हल के लिए भी कर रही है।
भू भारती के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया -
http://www.nisg.org/projects/project_ilis/index.htm पर क्लिक करें।
आंध्रप्रदेश सरकार ने राजीव इंटरनेट ग्राम परियोजना की शुरु आत मुख्य रू प से ग्रामीण इलाकों में रहनेवाली आबादी को सरकारी सेवाएं और लाभ जल्दी, सस्ती तथा अबाध गति से एकल खिड़की के माध्यम से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की थी। पूरे राज्य के 8618 गांवों में राजीव इंटरनेट ग्राम केंद्र की स्थापना की गई है।
राजीव इंटरनेट ग्राम केंद्र के जरिये लोगों को निम्नलिखित सुविधाएं मिल रही हैं-
वर्तमान में मंडल मुख्यालय, गांव स्तर पर 1148 ग्रामीण सेवा प्रदायक बिंदु (आरएसडीपी) एक सरकारी पोर्टल - http://www.aponline.gov.in/Quick%20Links/events/RIV%20Launch/Rajiv.htm द्वारा निम्नलिखित सेवाएं दी जा रही है, जिनकी स्थापना 2003 में एक कार्यक्रम के जरिये की गई थी-
राजीव इंटरनेट ग्राम केंद्रों के माध्यम से ग्रामीण आबादी को निम्नलिखित अतिरिक्त सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं -
जी 2 सी सेवाएँ
बी 2 सी सेवाएँ
राजीव इंटरनेट गांव के बारे में अधिक जानने और वहाँ उपलब्ध सेवा के उपभोग के -http://www.aponline.gov.in/Quick%20Links/events/RIV%20Launch/Rajiv.htm पर क्लिक करें।
आंध्रप्रदेश सरकार की ई-शासन सेवाओं के बारे में ज्यादा जानने के लिए देंखे
http://www.negp.gov.in/serice/finalservices.php?st=-2:36&cat=-2:1
स्त्रोत:
अंतिम सुधारित : 2/21/2020
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