অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

गीत : माझा मराठाचि बोलु

गीत : माझा मराठाचि बोलु


माझा मराठाचि बोलु कौतुकें | परि अमृतातेंही पैजां जिंके
ऐसीं अक्षरें रसिकें | मेळवीन ||1||

जिये कोंवळिकेचेनि पाडें | दिसती नादींचे रंग थोडे |
वेधें परिमळाचें बीक मोडे | जयाचेनि ||2||

ऐका रसाळपणाचिया लोभा | कीं श्रवणींचि होती जिभा |
बोलें इंद्रियां लागे कळंभा | एकमेकां ||3||

सहजें शब्दु तरी विषो श्रवणाचा | परि रसना म्हणेरसु हा आमुचा |
घ्राणासि भावो जाय परिमळाचा | हा तोचि होईल ||4||

नवल बोलतीये रेखेची वाहणी | देखतां डोळयांही पुरों लागे धणी |
ते म्हणती उघडली खाणी | रुपाची हे ||5||

जेथ संपूर्ण पद उभारे | तेथ मनचि धांवे बाहिरें |
बोलुं भुजांहीं आविष्करे | आलिंगावया ||6||

ऐशीं इंद्रियें आपुलालिया भावीं | झोंबती परि तो सरिसेपणेंचि
बुझावी | जैसा एकला जग चेववी | सहस्त्रकरु ||7||

तैसें शब्दाचें व्यापकपण | देखिजे असाधारण |
पाहातयां भावज्ञां फावती गुण | चिंतामणीचे ||8||

हें असो तया बोलांची ताटें भलीं | वरी कैवल्यरसें वोगरिलीं |
ही प्रतिपत्ति मियां केली | निष्कामासी ||9||

कवी : संत ज्ञानेश्वर

 

अंतिम सुधारित : 4/16/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate