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मोटापा - स्वस्थ दिल के लिए है खतरा

मोटापा - स्वस्थ दिल के लिए है खतरा

परिचय

मोटापन आधुनिक संस्कृतीकी अभिशाप है। कम श्रम और ज्यादा भोजन यही उसका मुख्य कारण है। अब तो आजकल बच्चे भी मोटापन से ग्रस्त है यह चिंता की बात है। मोटेपन के कारण मधुमेह यानि डायबिटीज, अतिरक्तचाप, हृदयविकार, पित्ताश्मरी, जोडों का दर्द आदि गंभीर रोग बढ रहे है। मोटेपन से वक्ष का कर्करोग भी हो सकता है। तोंद यानि बड़ा पेट के कारण कमरदर्द होता है। मोटापन यह स्वयं एक बीमारी है।

जानकारी

मोटापे का प्रमुख कारण रहनसहन ही है। आहार ज्यादा और काम कम संस्कृती के कारण मोटापा होता है। बढती उम्र में मोटापें की सहज प्रवृत्ती होती है। लेकिन इससे बचकर शरीर हल्का रखना जरुरी है। शहरी और भद्र समाज में महिलाओं को गर्भावस्था में मोटापे का प्राकृतिक खतरा होता है।

भोजन में ज्यादा चावल-गेंहूँ आदि अनाज, आलू, चीनी, मिठाईयाँ, तेल और घी शरीर में वसा का निर्माण करते है। कहते है की शरीर में कोई भी ऐसी चीज डालना आसान है लेकिन शरीर से वसा निकालना उतना ही मुश्किल। कुछ अनुवंशिक कारण भी मोटापा प्रदान करते है। कुछ व्यक्तियों में हॉर्मोन का असंतुलिन होना मोटापे का कारण बनता है।

निदान

सहविजन की अपेक्षा वजन 30% ज्यादा होना मोटापा कहलाता है। इसका ज्यादा अच्छा मानदंड बॉडी मास इंडेक्स या बी.एम.आई. है। बी.एम.आई. तय करने के लिये कि.ग्रॅ. में वजन संख्या को मीटर में उँचाई के वर्ग से विभाजित करे। बी.एम.आई. १८-२५ इस दौरान अच्छा समझा जाता है। १८ से कम बी.एम.आई. सही में कुपोषण है। बी.एम.आई. २६ से ३० तक मोटापापूर्व स्थिती मानी जाती है। बी.एम.आई. ३० के उपर ३५ तक वर्ग -१ मोटापा है। ३३ से उपर ४० तक बी.एम.आय, मोटापा वर्ग-२ कहलाता है। ४० के उपर बी.एम.आई. वर्ग ३-मोटापा है। यह मानदंड महिला और पुरुष दोनों के लिये लागू होता है।

लेकिन बी.एम.आई. के इस नियम को कुछ अपवाद है। कुछ स्त्री-पुरुष ज्यादा सघन या चौडे कद के होते है। गठीला बदनवाले स्त्री-पुरुषोंको बी.एम.आई. ३० तक सामान्य मान सकते है। कुछ वेट लिफ्टिंग करने वाले खिलाडी भी ऐसे अपवाद है। शरीर का वजन उँचाई से जुडा होता है। आदर्श उँचाई-वजन के लिये तालिका उपलब्ध है। अगर तालिका पास ना हो तो इसके लिये ब्रोका निदेशक उपयुक्त है। आपकी से.मी. में उँचाईसे सौ का आकंडा काटकर आदर्श वजन मिलता है। उदाहरण के तौर पर अगर उँचाई १६५ से.मी. है तो आदर्श वजन ६५ कि.ग्रॅ. होना चाहिये।

त्वचा की तह नापना यह और एक तरीका है। इसके लिये कॅलिपर जरुरी है। शरीर में चार जगह इसको नापा जाता है। — बाह का अगला अंग, बाह का पिछेवाला अंग, पेटपर और पीठ पर कंधे के हड्डी के नीचे।

इन चार आँकडो को मिलाकर पुरुषों में ४० मि.मी.से और महिलाओंमें ५० मि.मी.से कम हो तो मोटापा नही है। इससे ज्यादा संख्या मोटापे की निदेशक है। महिला और पुरुषों में नितंब और पेटपर वसा इकठ्ठा होती है। भारतीय पुरुषों में वैसे भी तोंद की होनेकी प्राकृतिक प्रवृत्ती है। तोंद होना आधुनिक रहनसहन का एक अभिशाप है लेकिन हम इसको बिलकुल टाल सकते है। सामान्यत: तोंद कम करना मुश्किल होता है, सिर्फ दृढ निश्चय और कृतीशिल व्यक्ति ही इसमें कामयाब हो सकते है। असलमें तोंद, स्वास्थ्य और चुस्ती को एक खतरा है। तोंद नॉंपने के लिये कमर-नितंब अनुपात उपयुक्त है। इसके लिये कमर या बेल्ट के नॉंप को नितंब के नॉंप से विभाजित करे। महिलाओं में यह अनुपात ०.८५ से कम होना चाहिये। पुरुषों में यह अनुपात एक से कम होना चाहिये।

उपचार

दमसांसयुक्त कसरत और गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ यानि उपरी दिशा में व्यायाम करना वसा को घटाता है। लेकिन ये ध्यान में रखे की ३० मिनिटों के व्यायाम के अन्दर ही वसा का इस्तेमाल होता है।

हफ्ता दो हफ्ता जंगल-पहाडों में घूँमना लेकिन कम खाना यह एक मोटापा कम करने का मंत्र है। प्रकृती आपको दुरुस्त करती है। चारधाम यात्रा का यह भी एक उद्दिष्ट था। जरुर हो तब डॉक्टरों की सलाह से इसका प्रयोग करे। वसा कम करने के लिये शस्त्रक्रिया या इलाज भी उपलब्ध है।

प्रतिबंध

वर्ष ४० उम्रके साथसाथ आपके वजन के बारे में ज्यादा सावधानी रखे। वैसे भी पुरुषों को शादी के बाद मोटापा का खतरा बना रहता है। महिलाओं में गर्भावस्था में मोटापा पाने का डर होता है। ज्यादा खाना और विश्राम यही इसका कारण होता है।

कॉलेज के दिनोंमें आपका जो वजन था लगभग वहीं आपका आदर्श वजन होता है। मोटापा कम करने के लिये बैठे-बिठाये काम करने के बजाय जितना हो सके खडे खडे करने का प्रयास किजिये। चलने की आदत भी जरुरी है। हफ्तेमें एक या दो बार भोजन टालना उचित होगा।

आपके भोजन में चपाती, रोटी, चावल, चीनी, आलू और मिठाई सीमित रखिये। इसके बजाय तंतुमय आहार, सागसब्जी, फल और प्रथिनयुक्त आहार पसंद करे। गेंहूँ में सोयाबिन मिलाकर प्रथिन की मात्रा बढा सकते है। नियमित रूपसे व्यायाम-कसरत मोटापा टालने के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है।

स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य

 

अंतिम सुधारित : 2/21/2020



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