सन 2000 में बिहार विभाजन के पश्चात प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान, बिहार का गठन, मार्च 2002 में किया गया। संस्थान वाल्मी परिसर फुलवारी शरीफ, पटना में अवस्थित है। इसी परिसर में ग्रामीण विकास विभाग ने सिंतबर 2004 में ग्रामीण विकास संथान की स्थापना की जिसे प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान के महानिदेशक के नियन्त्रणाधीन ही रखा गया। तदंतर इन दोनों संस्थानों को मिलाकर एक नये संस्थान “बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान(बिपार्ड) की स्थापना की गई। बिपार्ड सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन ऐक्ट 1860 के अंतर्गत 21 नवंबर 2005 को निबंधित हुआ और दिनांक 1 अप्रैल 2006 से एक सोसाईटी के रूप में कार्यरत है।
बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान (संगठन) नियमावली 2005 की प्रस्तावना में वर्णित है-
“बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान, लोक प्रशासन, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबन्धन, पंचायती राज, गैर सरकारी संगठन, नगर विकास, भूमि जल प्रबन्धन, पंचायती राज, गैर सरकारी संगठन, नगर विकास, भूमि, जल प्रबन्धन एंव स्वच्छता इत्यादि के क्षेत्र में प्रशिक्षण एवं शोध के लिए सर्वोच्च संस्थान होगा। राष्ट्रीय एवं राज्य सरकारों तथा इन क्षेत्रों से संबद्ध अन्य अभिकरणों को निति निर्धारण, कार्यक्रम सूत्रपात, प्रसारण के क्षेत्र में सहायता प्रदान करने हेतु इसे एक उत्कर्ष केंद्र के रूप में विकसित किया जायेगा।
उपरोक्त से स्पष्ट हो जाता है कि बिपार्ड की पंचायती राज व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण में क्या भूमिका है।
बिहार में पंचायत राज व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए बहुआयामी प्रयासों को संगठित करने की आवश्यकता है। बिपार्ड ने पंचायत राज व्यवस्था को सहयोग प्रदान करने के लिए प्रखंड स्तर पर “बिपार्ड पंचायत राज केंद्र’ की स्थापना करने के निश्चय किया है। बिपार्ड ने अपने मुख्यालय में एक “पंचायत राज सेल’ भी स्थापित किया है जो प्रखंड के इन इन केन्द्रों के लिए नीतियाँ एंव कार्यक्रम बनाएगी, साथ ही इनका संचालन भी करेगी।
बिपार्ड का उद्देश्य है कि पंचायत को सशक्त एवं कार्यक्रम बनाने के लिए संस्थागत सहयोग का एक राज्यव्यापी ढाँचा खड़ा किया जाए जिससे कि:
उपरोक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए बिपार्ड ने प्रत्येक प्रखंड (पंचायत समिति स्तर पर) में एक बिपार्ड पंचायत राज केंद्र खोलने की योजना बनाई है। इन केन्द्रों में कम से कम पांच सक्षम व्यक्ति होंगे जिनमें कम से कम दो महिलाओं होंगी। इन केन्द्रों को कम्पयूटर तथा अन्य सूचना उपकरणों से सज्जित किया जाएगा। इन केन्द्रों को निम्नलिखित ज़िम्मेदारियाँ होंगी:
बिपार्ड पंचायत राज केंद्र शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पर्यावरण, स्थानीय विकास, स्वयं सहायता समूह, आपदा प्रबन्धन आदि क्षेत्रों में ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को अपनी विशेषज्ञता प्रदान करेंगे।
बिपार्ड पंचायत राज केन्द्रों का वित्तपोषण शुरुआत में एक वर्ष के लिए बिपार्ड द्वारा किया जाएगा, किन्तु इसी दौरान उन्हें अपने को आत्मनिर्भर इकाइयों के रूप में विकसित करना होगा। अपनी विशेषज्ञ सेवाओं के बदले में वे पंचायतों से आवश्यक शुल्क वसूल सकेगें। दरअसल इन केन्द्रों की कल्पना उद्यमी इकाइयों के रूप में की गई है। बिपार्ड अपने इन पंचायत केद्नों के प्रशिक्षकों/कर्मियों के रूप में अनुभवी तथा सक्षम व्यक्तियों को तैनात करेगा तथा उनके गहन प्रशिक्षण की भी व्यवस्था करेगा। बिपार्ड प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं लेगा।’बिपार्ड पंचायत राज केन्द्रों’ के लिए उपयुक्त स्थान की व्यवस्था राज्य सरकार की ओर से बिपार्ड करेगा जोकि मुफ्त या निशुल्क नहीं होगा। ‘बिपार्ड पंचायत राज केन्द्रों’ के संचालन के लिए प्रमुख, मुखिया आदि का यथासंभव सहयोग लिया जाएगा।
केन्द्रों की परिकल्पना पंचायत राज व्यवस्था की वर्त्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर की गई है। पंचायत राज अब एक वास्तविक और स्थाई व्यवस्था है। इसे हर स्थिति में कार्यक्रम और उपादेय बनाना हमारी लोकतांत्निक व्यवस्था के लिए अनिवार्य है। पंचायत राज संस्थाओं को ‘लोकतंत्र और विकास’ के साझा उद्देश्यों को ध्यान में रखकर काम करना है। यह एक बड़ी चुनौती है। बिपार्ड अपनी ओर से इस दिशा में एक पहल करना चाहता है। यह पहल प्रभावी व फलदायी बने, इसके लिए हर संभव प्रयत्न किये जायेंगे।
स्त्रोत: पंचायती राज विभाग, बिहार सरकार
अंतिम सुधारित : 2/23/2023
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