नियामक विपणन प्रणाली में, राज्य एपीएमसी अधिनियम ने किसानों के खेत से सीधे खरीद की अनुमति नहीं दी थी और किसानों को उनकी उपज की बिक्री के लिए बाजार परिसर में आना पड़ता था। इस प्रसंस्करण, निर्यात और अनुबंध कृषि आदि को हतोत्साहित कर रहा था।
राज्य सरकार द्वारा अभिनव योजना उझावर संधाई शुरू की गई थी। पहला उझावर संधाई नवंबर 1999 में मदुरै में खोला गया था। वर्तमान में 164 उझावर संधाई राज्य में कार्य कर रहे हैं। इन बाजारों में, कृषि अधिकारी और किसानों के समूहों के प्रतिनिधि सहित अधिकारियों की टीम द्वारा उपज का दैनिक मूल्य तय किया गया है। निर्धारित दर प्रचलित थोक बाजार मूल्य की तुलना में लगभग 20% अधिक है और उपभोक्ताओं को प्रचलित खुदरा मूल्य की तुलना में लगभग 15% का लाभ हो रहा है। उझावर संधाई में लेनदेन के लिए कोई बाजार शुल्क नहीं लगाया जाता है।
आंध्र प्रदेश में फल, सब्जियों और आवश्यक खाद्य वस्तुओं के विपणन में किसानों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संपर्क प्रदान करने के मुख्य उद्देश्य के साथ वर्ष 1999 में राज्य में रिथु बाजार स्थापित किये गए हैं। इस समय राज्य में रिथु बाजारों की संख्या 106 है। रिथु बाजारों से उत्पादक और उपभोक्ता दोनों लाभान्वित होते हैं क्योंकि इस बाजार में उपभोक्ता के रुपए में उत्पादक का हिस्सा अन्य बाजारों की तुलना में 15 से 40 प्रतिशत तक अधिक है और उपभोक्ताओं को आस-पास के बाजारों में प्रचलित मूल्यों की तुलना में चल रही कीमतों से 25-30% कम मूल्य पर ताजा सब्जियां, फल और खाद्य वस्तुएं मिल जाती हैं। रिथु बाजारों में विपणन लागत न्यूनतम स्तर पर हैं क्योंकि विपणन गतिविधियों से बिचौलियों को पूरी तरह से हटा दिया गया है। रिथु बाजारों में लेनदेन के लिए बाजार शुल्क से छूट दी गई है।
पंजाब में अपनी मंडी में उपज की बिक्री के लिए किसानों और अंतिम उपभोक्ताओं के बीच सीधा संपर्क है। इन मंडियों को अपनी मंडी कहा जाता है क्योंकि इनमें किसान-उत्पादक अपनी उपज सीधे खरीदारों या उपभोक्ताओं को बेचने के लिए लाते हैं। अपनी मंडी प्रणाली बिचौलियों को दूर कर देता है।. जिस क्षेत्र में अपनी मंडी स्थित है वहां की कृषि उपज विपणन समिति स्थान, पानी, छाया, काउंटर और तराजू जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करती है।
2003 के बाद से महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा शेतकारी बाजार (किसानों/उपभोक्ताओं को बाजार) नामक योजना कार्यान्वित की जा रही है। शेतकारी बाजार के निर्माण के लिए एपीएमसीएस को रुपये 10.00 लाख तक का अग्रिम सावधि ऋण दिया गया है। राज्य में 12 शेतकारी बाजारों काम कर रहे हैं और 33 अतिरिक्त बाजारों को मंजूरी दी गई है।
राज्य में 730 ग्रामीण प्राथमिक बाजार हैं जहां मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों द्वारा खाद्यान्न, फल और सब्जियाँ सीधे उपभोक्ताओं को बेची जाती हैं । इन बाजारों को स्थानीय अधिकारियों और ग्राम पंचायतों द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
स्रोतः सुधारों को बढ़ावा देने के लिए कृषि विपणन के प्रभारी, राज्य मंत्रियों की समिति,
प्रत्यक्ष विपणन के दो रूप हैं, अर्थात् किसान सीधे उपभोक्ताओं को बेचते हैं और व्यापारी किसानों के दरवाजे से उपज खरीदते हैं। प्रत्यक्ष विपणन किसानों को खेत पर कृषि उपज की ग्रेडिंग का कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है और उपस को बिक्री के लिए विनियमित बाजारों में ले जाने की आवश्यकता को दूर करता है।
प्रत्यक्ष विपणन किसानों और प्रसंस्कारकों और अन्य थोक खरीदारों को परिवहन लागत पर बचत करने और मूल्य प्राप्ति में काफी सुधार करने के लिए सक्षम करता है।
पंजाब और हरियाणा में अपनी मंडी के माध्यम से देश में उपभोक्ताओं के लिए किसानों द्वारा प्रत्यक्ष विपणन का प्रयोग किया गया है। पंजाब की अपनी मंडी में, एक सामान्य नीति का पालन किया जाता है जिसमें एक ऐसी दर पर वस्तुओं की बिक्री की अनुमति दी गई है, जो खुदरा दरों की तुलना में 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत अधिक और प्रचलित थोक बाजार दरों की तुलना में 30 प्रतिशत से 50 प्रतिशत अधिक है। यह उत्पादकों को बेहतर लाभ प्राप्त करने और उपभोक्ताओं को उचित दरों पर अच्छी गुणवत्ता की उपज पाने में मदद करता है। कुछ सुधार के साथ इस अवधारणा को विभिन्न राज्यों में अपनाया गया है। प्रत्यक्ष विपणन के सफल मॉडलों के ब्यौरे बॉक्स में दिए गए हैं। वर्तमान में, इन बाजारों में फल और सब्जियों के छोटे और सीमांत उत्पादकों द्वारा बिचौलियों की मदद के बिना विपणन की आदत विकसित करने के लिए,एक प्रचारक उपाय के रूप में, राज्य सरकार के खजाने से खर्च पर चलाया जा रहा है। देश की विशालता को देखते हुए, निजी निवेश के साथ संगठित क्षेत्र में इस तरह के अधिक से अधिक बाजारों के आने की जरूरत है, ताकि उन्हें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबंध के साथ बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित किया जा सके।
अब सुधारों के बाद, जिन राज्यों ने केन्द्र सरकार के मॉडल अधिनियम के अनुसार अपने राज्य अधिनियमों में संशोधन किया है, उन राज्यों में प्रत्यक्ष विपणन की अनुमति दी गई है। प्रत्यक्ष विपणन प्रावधान के अंतर्गत, एक व्यापारी, निर्यातक, और प्रसंस्कारक सीधे किसानों से खरीदारी कर सकते हैं और उनके साथ वापस खरीदने की व्यवस्था में प्रवेश कर सकते हैं। यह मॉडल बिचौलियों को खत्म करने उपभोक्ताओं के रुपए में किसानों को बेहतर हिस्सा दिलाने के लिए है। इस योजना से किसान और उपभोक्ता दोनों लाभान्वित होते हैं।
उत्पादकों द्वारा प्रसंस्करण उद्योग /निर्यातकों/थोक खरीदारों के लिए प्रत्यक्ष बिक्री
सुधार न करने वाले राज्यों में एपीएमसी अधिनियम, किसानों को बाजार परिसर के बाहर प्रसंस्कारकों/निर्माताओं/थोक प्रसंस्कारकों को अपनी उपज को बेचने पर प्रतिबंध लगाता है क्योंकि एपीएमसी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उपज विनियमित बाजार के माध्यम से बेचनी होती है। बदले हुए परिदृश्य में, उत्पादक को संबंधित अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधान के अंतर्गत बाजार क्षेत्र में बाजार परिसर के बाहर अन्य बिचौलियों की भागीदारी के बिना प्रत्यक्ष बिक्री में प्रवेश करने के लिए मुक्त किया जाना चाहिए। यह वर्दि्धत प्रतिस्पर्धा के माध्यम से निर्माता-विक्रेता को मौद्रिक लाभ के साथ उत्पादकों और प्रसंस्करण कारखानों के बीच प्रत्यक्ष विपणन और उचित कीमतों के द्वारा उपभोक्ताओं को लाभ दिलाने में सहायक होगा।
स्रोत: राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय,भारत सरकार का संगठन
अंतिम सुधारित : 2/21/2020
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