অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

अदरक के लिए समेकित कीट प्रबंधन पैकेज

अदरक के लिए समेकित कीट प्रबंधन पैकेज

कीट अनुश्रवण

फसल क्षतिकारक अनुश्रवण का उद्देश्य  खेतों में फसल क्षतिकारक एवं रोगों के प्रारंभिक विकास का अनुश्रवण करना है।  क्षतिकारक/रोग की घटनाओं में वृद्धि/कमी की प्रवृत्ति एंव जीव नियंत्रण संभावना की उपलब्धता को आंकने के लिए विस्तार एजेंसियों तथा कृषकों को कीट/रोगों एवं जीव नियंत्रण जीव जन्तु/वनस्पति के लिए खेत का अवलोकन पखवारे में एक बार करना चाहिए।

अतएव विकास के विभिन्न चरणों के अंतर्गत सुनिश्चित  अंतराल में फसल क्षतिकारकों एवं रोग की घटनाओं के अवलोकन हेतु कृषकों को खेत की निगरानी के लिए गतिशील किया जा सकता है। पौधा संरक्षण के उपाय तभी किये जाने की आवश्यकता है जब खेत की निगरानी  के फलस्वरूप  फसल क्षतिकारक एंव रोग प्रारंभिक स्तर (ईटी एल) पार  करते हैं।

समेकित फसल क्षतिकारक  प्रबन्धन रणनीतियाँ

कृषीय प्रक्रिया

  1. खेतों की गहराई जोताई
  2. 20-30 दिनों तक क्यारियों को धूप मिलना फसल क्षतिकारकों एवं रोगों के गुणन को नियंत्रित करने में लाभदायक है।
  3. बीज के लिए फसल कटाई के फौरन बाद कीट/जन्तु –संक्रमण से मुक्त बड़े, सुडौल कंद का चुनाव किया जा सकता है।
  4. बीज के कंद उथली क्यारियों में, अच्छी तरह सड़े हुए पशु खाद अथवा ट्राईकोडरमा स्पीसीज (ट्राईकोडरमा से संचारित 10 ग्राम कम्पोस्ट) के साथ मिश्रित करके एक दूसरे से एवं एक से दूसरी क्यारी के बीच 20-25 से. मी.  की दुरी पर लगाये जा सकते हैं।
  5. संतुलित/अनुशंसित खाद/उर्वरक को मिट्टी जांच रिपोर्ट  के अनुसार  उपयोग किया जाना चाहिए।
  6. अदरक की क्यारी को प्रति हेक्टेयर 10-12 टन हरी पत्तियों से ढंकना अनिवार्य है। 40 एवं 90 दिनों के बाद निकाई एवं मिट्टी को धूलने से बचाने  के लिए, उर्वरक लगाने के फौरन बाद, प्रति हेक्टेयर 5 टन हरी पत्तियों से ढकना मिट्टी को नमी को संरक्षित करता है खरपतवार के विकास को रोकना और मिट्टी के भौतिक गुणों को सुधारता है।
  7. सूक्ष्म जैविक गतिविधियों एवं पोषक तत्त्वों की उपलब्धता बढाने के लिए प्रत्येक ढंकने की क्रिया के बाद गोबर क पतला घोल अथवा तरल क्यारी के ऊपर उड़ेला जा सकता है।
  8. उर्वरक डालने एवं ढंकने के ठीक पहले निकाई की आवश्यकता होती है। दो से तीन बार की निकाई आवश्यक है जो खरपतवार के उगने की तीव्रता पर निर्भर करता है।
  9. प्रति हेक्टेयर 2 टन की दर से नीम-खल्ली  लगाना।
  10. जमा हुए पानी को बाहर निकालने तथा मिट्टी के रोग कम करने के लिए भी प्रत्येक क्यारी के बीच नालियों की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
  11. अदरक को अन्य फसलों जैसे कसावा, मिर्च, धान, जिंगली, रागी, मूंगफली मक्का एवं सब्जियों के साथ लगाया जाना चाहिए।
  12. कंद-सड़न के विरुद्ध, मरान सुआस, नदिया, नरास्पत्तनम, वेंजुआना, वायनाड लोकल, डब्ल्यू मन्नोनटोडी, कुरुप्पमपडी, जैसी प्रतिरोधी प्रजाति उगाना।

यांत्रिक प्रकिया

  1. जमीन तैयार करते समय क्यारियों पर सूर्य की तेज धूप पड़ना जैविक क्रिया के कारक कीट तथा रोग को नियंत्रित करने में लाभदायक है।
  2. अंकुर छेदकों के व्यस्क पतिंगों को आकर्षित एवं एकत्रित करने के लिए हल्का जाल उपयोगी होगा।
  3. जल जमाव से बचने के लिए समुचित नाली प्रणाली प्रदान करें ताकि हल्के सड़न अथवा कंद के सड़न को नियंत्रित किया जा सके।
  4. यदि हल्का कंद सड़न दिखाई देता है तो प्रभावित  खंड को उसके आसपास की मिट्टी के साथ सावधानीपूर्वक  निकाल देना चाहिए (क्योंकि यह मिट्टी जनित रोग है) ताकि फैलाव कम किया जा सके।
  5. यदि संक्रमण अधिक न फैला हो तो मुड़े हुए पत्तों को पहचान कर पत्ते मोड़ने वाले लार्वा को इकट्ठा करने का सुझाव दिया जाता है।
  6. रोपने के लिए स्वस्थ कंद का  उपयोग तथा मरे हुए पौधों एवं प्रभावित्त कंदों को पहले ही निकाल देने से कंद मक्खियों का प्रकोप कम होता है।
  7. उभरने एवं नष्ट करने के दौरान वयस्क सफेद सुंडी को यांत्रिक रूप से संग्रहित करना।

जैविक नियंत्रण प्रक्रिया

  1. हल्के सड़न/कंद सड़न से बचाव के ली रोपने के समय ट्राईकोडरमा स्पीसीज का प्रयोग किया जा सकता है।
  2. चूँकि ढंकने से अंकुर छेदक का प्रकोप कम हो सकता है  लंटाना कमारा और वाईटेक्स निगोन्डो का इस्तेमाल करना चाहिए।
  3. प्राकृतिक जैविक एजेंट जैसे मादा पक्षी मृंग, मकड़ा, चेरी स्पोएड्स, ट्राईकोग्रामाटिड्स इत्यादि को संरक्षित करें।
  4. लेपिडोपटेरन्स के लिए प्रति सप्ताह, प्रति हेक्टेयर 50, 000 की दर से ट्राईको गामा चिलोनिस मुक्त करना।

रसायनिक नियंत्रण प्रक्रिया

  1. यदि अंकुर छेदक दिख जाए तो नीम के तेल (0.5%) का छिड़काव  15 दिनों के अंतराल पर करें अथवा डायमेथोएट या क्विनाल्फोस (0.5%)  छिड़कें।
  2. हल्के सड़न/कंद नियंत्रित करने के लिए रोग नियंत्रित  उपयोग किया जा सकता है।
  3. पत्तों को मोड़ने वाले कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए कार्बाराइल  (0.1%) का छिड़काव करें।
  4. कंद के खपड़ी दार कीट से छुटकारा पाने के लिए भण्डारण/रोपने से पहले बीज कंद को क्विनाल्फोस (0.1%) में दो बार डुबोएं।
  5. कंद मक्खी के विरुद्ध डायमेथोएट या क्विनाल्फोस का छिड़काव प्रभावकारी  है।
  6. कंद सड़न प्रबन्धन के लिए 4 ग्राम प्रति किलो की दर से कंद का मेटालेक्सील एमजेड से उपचार एवं मेटालेक्सील एमजेड के साथ  मिट्टी को अच्छी तरह मिलाएं।

अदरक की फसल के लिए चरणबद्ध समेकित कीट

प्रबन्धन अभ्यास

फसल चरण/कीट

आईपीएम के घटक

समेकित कीट प्रबन्धन

बुनने से पूर्वं

कृषीय  प्रक्रिया

गहरी जुताई

 

 

फसल आवर्तन अपनाना

 

यांत्रिक  प्रक्रिया

विभिन्न कीट एवं रोगों को कम करने के लिए क्यारी को धूप दिखाया जाना चाहिए।

अंकुर चरण

कृषीय प्रक्रिया

संक्रमण  एवं जन्तु प्रकोप से बचाकर मुक्त रखे गये बीज कंद को कम्पोस्ट/पशु खाद में मिलाकर था ट्राईकोडरमा संचारित  कर मई के प्रथम  पखवारे में मानसून के आने के साथ ही उथली क्यारियोंन में लगाना चाहिए (फरवरी/मार्च में सिंचाई की गई स्थिति में)

 

 

अदरक की क्यारी को पत्तों से ढकना अनिवार्य है।  जैविक गतिविधियाँ बढ़ाने  के लिए प्रत्येक ढंकाई के बाद गोबर का पतला घोल अथवा तरल खाद लगाया जा सकता है।

 

 

पानी का जमाव दूर करने एवं कंद सड़न कम करने के लिए क्यारियों के बीच नालियों की समुचित व्यवस्था हो।

कंद में खपड़ीदार कीट

रसायनिक नियंत्रण

बीज कंद के भंडारण/बुआई से पहले इसे क्विनाल्फोस (0.1%) में दो बार डुबोएं।

 

जीवाणवक मुरझाना

बीज कंद को 100-200 पीपीएम स्ट्रेप्टोमायसिन के साथ 3.0 मिनट तक उपचारित करें।

वनस्पतिक चरण

कृषीय प्रक्रिया

वयस्क  पतिंगों को फंसाने के लिए हल्के जाल लगाएं।

अंकुर छेदक

जैविक नियंत्रण

लंटाना कमारा और वाईटेक्स निगोन्डो का इस्तेमाल अंकुर छेदक का प्रकोप कम कर सकता है।

 

रसायनिक नियंत्रण

15 दिनों के अंतराल पर नीम का तेल (0.5%) डायमेथोएट या क्विनाल्फोस (0.5%) का छिड़काव करें।

हल्का सड़न/ कंद सड़न

कृषीय प्रक्रिया

ऐसे स्थान का चुनाव करें जहाँ जल निकास की उचित व्यवस्था हो।

 

 

रोग मुक्त क्षेत्र से बीज कंद का चयन करें।

 

 

प्रभावित्त पौधे के कंद को आसपास की मिट्टी के साथ खोदकर बाहर निकाल दें।

 

जैविक नियंत्रण

रोपने के समय एवं बाद में ट्राईकोडरमा का प्रयोग किया जा सकता है।

 

रसायनिक नियंत्रण

रोपने से पहले बीज कंद को प्रति किलो 4 ग्राम की दर से मेटालेक्सील एमजेड के साथ उपचारित करें।

 

 

संक्रमित पौधे को खोद कर निकालने के बाद क्यारी को चेस्टनट यौगिक अथवा 1% बोर्डेक्स मिश्रण से सरोबार करें।

कंद सड़न

रसायनिक नियंत्रण

बीजों को 25-30 ग्राम प्रति किलो की दर से थिरम के साथ उपचारित किया जा सकता है।

पत्तों का मुड़ना

रसायनिक नियंत्रण

10.1% कार्बाराइल का छिड़काव करें।

कंद मक्खी

रसायनिक नियंत्रण

डायमेथाएट अथवा मोनोक्रोटोफॉस प्रभावकारी हैं।

खरपतवार

यांत्रिक

प्रत्येक ढंकने से पूर्व खरपतवार हाथ से निकाल दें। रोपने के बाद 6वें और छठे महीने के दौरान खरपतवार बढ़ने के अनुसार दुबारा निकाई करें।

बीज कंद का  रक्षण

कृषीय प्रकिया

अदरक के संक्रमण मुक्त कंद को छाया में खोदे गये गड्ढों जिनके तल में बालू अथवा लकड़ी का बुरादा बिछा हो, में भण्डारण करें।

 

 

गड्ढों को ढंकने के लिए पनाई (ग्लायकोसमिस पेंटा) के पत्तों  की कई परतें बिछा कर उन्हें नारियल के पत्तों से ढक देना चाहिए।

 

अदरक के समेकित कीट प्रबन्धन रणनीति में करें- न करें की विवरणी

करें

न करें

1.केवल अनुशंसित  प्रजाति ही उगाएँ

1.मौसम/क्षेत्र  के लिए अनुपयुक्त  प्रजाति न उगाएं

2. यह  सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि बीज के कंद संक्रमण मुक्त हैं। बीज कंदों को रोपते समय ट्राईकोडरमा जैसे जीव नाशक का इस्तेमाल किया जा सकता है।

2. बीज कंद को किसी रासायन के साथ उपचारित न करें।

3. प्रत्येक ढकाई एवं उर्वरक लगाने के  पूर्व खरपतवार  हाथ से निकाल दें।

3. ढंकने एवं उर्वरक प्रयोग करने से पूर्व निकाई करना न भूलें।

4.उर्वरक का इस्तेमाल मिट्टी जांच की अनुशंसा के अनुसार करें।

4. सूक्ष्मपोषक (माईक्रोन्यूट्रीएन्ट्स ) को उर्वरक  के साथ न मिलाएं और न मिट्टी में मिलाएं।

5.जल जमाव को बहाकर हटाने के लिए समुचित जल निकास व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए।

5. जल जमा मत होने दें।

6.प्रबन्धन अभ्यास में निर्णय लेने के लिए आयेसा का आयोजन प्रातः 9 बजे से पहले, सप्ताहिक/माह में करें।

6. कलेन्डर के आधार पर रसायनिक  कीटनाशक का प्रयोग न करें।

7.अंकुर छेदक के वयस्क पतिंगों को संग्रहित  व अनुश्रवण के लिए हल्के जाल लगाएं ।

7. कीटों की स्थिति के अनुश्रवण पूर्व किसी भी कीटनाशी का व्यवहार न करें।

कीटनाशक प्रयोग में सुरक्षा की सीमाएं

क्र.सं.

कीटनाशक का नाम

कीटनाशक अधिनियम 1971 के अनुसार वर्गीकरण

विषाक्तता त्रिभुज का रंग

जोखिम के अनुसार डब्ल्यू एचओ वर्गीकरण

प्रथम उपचार के उपाय

विष प्रभाव  के लक्षण

विष प्रभाव  के उपचार

प्रतीक्षा अवधि (दिनों की सं.)

1

2

3

4

5

6

7

8

9

कीटनाशक – आर्गनोफॉस्फोट  कीटनाशक

 

 

 

 

2.

क्विनाल्फोस

 

 

 

 

मोनोक्रोटोफॉस

उच्च रूप से विषैला

 

अत्यंत विषैला

पीला

 

 

 

 

चमकदार

श्रेणी 2 सामान्य रूप से खतरनाक

 

श्रेणी 1 बी, अति खतरनाक

प्रदूषित क्षेत्र से व्यक्ति को हटा दें।

 

(क) चमड़ी से सम्पर्क हो जाने पर सभी प्रदूषित कपड़े उतार दें और साबुन तथा अधिक पानी से धो दें।

(ख) आँख में प्रदुषण आँख को साफ एवं ठंडे पानी की अधिक मात्रा में धोंएं।

(ग) नाक से प्रदुषण नाक से सांस लेने पर व्यक्ति को खुली आजी हवा में ले जायें, गला और छाती के आस- पास के कपड़े ढीले कर दें।

(घ) मुंह से अंदर जाने प् यदि पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह होश में है तो गले में ऊँगली डालकर उल्टी कराएं\ दूध, शराब एवं चर्बी वाले पदार्थ न दें। यदि व्यक्ति बेहोश है तो यह सुनिश्चित  कर लें की सांस लेने का रास्ते साफ  है एवं उसमें में कोई रुकावट नहीं है पीड़ित का सिर  थोड़ा नीचा रखकर चेहरे को सोने की स्थिति में एक ओर घुमा देना चाहिए। यदि सांस लेने में कष्ट हो तो मुख से नाक सांस दें।

हल्का-अर्जिर्ण सिरदर्द, उनींदापन

कमजोरी, चिंता जुबान और आंख के पट का कांपना अल्प दृष्टि देखने में कष्ट

 

 

 

 

 

 

 

माध्यम-मतली आन, लार बहना, आँख से आंसू आना पेट में मरोड़ उल्टी, पसीना, आना  नाड़ी  की गति धीमी होना, मांसपेशियों  में खिंचाव अल्प दृष्टि

ओ.पी. विषाक्तता  के संगीन मामले में

एट्रोपीन के इंजेक्शन (वयस्क के लिए 2.4 मि.ग्रा. 0.5-1.0 मि.ग्रा. बच्चों के लिए) की अनुशंसा  की जाती है, 5-10 मिनट के अंतराल में दुहरावें  जब तक कि  एट्रोपीन का असर न दिखें  शीघ्रता शीघ्रता अति आवश्यक इंजेक्शन  1-4 मि.ग्रा. 1 जब विष के   लक्षण पुनः दिखाई दे तो मि.ग्रा. दोबारा दें। ( 15-16  मिनट अंतराल) अत्यधिक लार बहना अच्छा संकेत और एट्रोपीन की आवश्यकता है।

हवा आने के रास्ते  खुले रखें, चूसें, ऑक्सीजन प्रयोग करें, इंडोट्रैकियल टूयूब  डालें । टैकियोटॉमी करें और आवश्यकतानुसार कृत्रिम सांस दें।

 

1

3

5

6

7

8

 

3

 

उच्च रूप से विषैला

 

पीला

श्रेणी 2 सामान्य रूप से खतरनाक

 

चिकित्सीय सहायता कंटेनर, लेबल,  लीफलेट  के साथ पीड़ित को डॉक्टर /प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं।

तीव्र-दस्त, आंख की पुतली स्थिर रहना, सांस लेने में कष्ट, फेफड़ा, फूलना, नीला पड़ना, मांसपेशियों  के नियंत्रण  में कमी, मूर्च्छा  बेहोशी एवं हृदय का अवरुद्ध होना।

यदि उल्टी न हो रही तो 5% सोडियम बाईकार्बोनेट घोल पिलाएं, चमड़ी में सम्पर्क के लिए साबुन और पानी से धोएं ( आँख नमक पानी से धोएं) सम्पर्क में आए स्थानों में धोते समय रबर  के दस्ताने पहन लें। एट्रोपिन के अलावा 2-पीएएम  (2- पाईरिडीन  एल्डोक्जाएम मेथीओडाटाड  दें। 1 ग्रा. एवं शिशुओं के लिए 0.25 ग्रा. इंट्राविनस धीमीगति में 5 मिनट की अवधि में और निर्देश के अनुसार समय-समय पर  इसका दुहराव करें एक से अधिक इंजेक्शन  की आवश्यकता हो सकती है।   मोरफिन, थियोफायलिन  एमीनोफायलीन बारबीचुरेट्स, फेनेथायाजीन  न दें। पहले कृत्रिम  सांस दें फिर एट्रोपिन दें।

 

 

कार्बामेट्स

 

 

 

 

 

 

 

4

कार्बाराइल

उच्च रूप से विषैला

 

पीला

श्रेणी 2 सामान्य रूप से खतरनाक

 

पुतलियों का संकुचन, लार निकलना, जोर से पसीना अवसाद, मांसपेशियों  में तालमेल न होना मतली उल्टी, दस्त, पेडू में दर्द छाती में में कड़ापन

एट्रोपीन इंजेक्शन  1 से मि.ग्रा. जब विष के लक्षण फिर दिखे तो 2 मि.ग्रा. पीर दें (15-60  मिनट अंतराल पर) अधिक लार निकलना अच्छा चिन्ह, एट्रोपीन की और आवश्यकता है। हवा आनेवाले मार्ग खुलें रखें, सांस  फूंकें, ऑक्सीजन  प्रयोग करें इंट्रोटैकियल   टूयूब डालें ट्रैकियोटॉमी करें और आवश्यकतानुसार कृत्रिम  सांस दें।  यदि उल्टी  न आती हो तो 5% सोडियम बाईकार्बोनेट पिला कर साफ करें, चमड़ी में सम्पर्क के लिए साबुन और पानी से धोएं ( आँख नमक पानी से धोएं) सम्पर्क में आए स्थानों में धोते समय रबर  के दस्ताने पहन लें।

ऑक्सीजन अगर जरूरत हो तो मॉरफीन  दें।

 

 

फंगीसाइड्स

मेटालेक्सील

सामान्य रूप से विषैला

नीला

श्रेणी 3 हल्का खतरनाक

 

सिरदर्द .तेज, धड़कन  उल्टी, चेहरे का रंग उड़ा हुआ नाक, गला, आंख और चमड़ी में खुजली

कोई विशिष्ट प्रतिकारक नहीं। चिकित्सा अनिवार्य रूप से लक्षण पर निर्भर है।

 

 

कीटनाशक उपयोग के लिए मौलिक सावधानियाँ

कीटनाशक क्रय

  1. एक बार प्रयोग के लिए जितनी मात्रा की आवश्यकता है उतनी ही मात्रा में कीटनाशक का क्रय करें, जैसे-100,250, 500 या 1000 ग्राम/ मिली०
  2. रिसते हुए डिब्बों, खुला, बिना मोहर, फटे बैग में कीटनाशक का क्रय न करें।
  3. बिना अनुमोदित लेबल वाले कीटनाशक का चयन न करें।

भण्डारण

  1. घर के अंदर कीटनाशक का भण्डारण न करें।
  2. मौलिक मोहरबंद डब्बे का ही प्रयोग करें।
  3. कीटनाशक को किसी दुसरे पात्र में स्थानांतरित न करें।
  4. खाद्य सामग्री या चारा के साथ कीटनाशक को न रखें।
  5. कीटनाशक को बच्चों या पशुओं के पहुँच के बाहर रखे।
  6. वर्षा या धूप में कीटनाशक के साथ न रखें।

हस्तलन

  1. खाद्य पदार्थों के साथ कीटनाशक को न लावें तथा परिवहन न करें।
  2. अधिक कीटनाशक की मात्रा को सर पर, कंधों पर, पीठ पर रखकर सथानान्तरित  न करें।

छिड़काव हेतु घोल निर्माण में सावधानियाँ

  1. केवल शुद्ध जल का प्रयोग करें।
  2. निर्माण अवधि में अपना नाक, आँख, मुंह, कान तथा हाथ का बचाव करें।
  3. घोल निर्माण करते समय हाथ कद दस्ताना, चहरे का मुखौटा, नकाब तथा सर को ढकते हुए टोपी का प्रयोग करें। इस अवधि में कीटनाशक हेतु उपयोग किये गये पॉलिथिन  का उपर्युक्त कार्य हेतु इस्तेमाल न करें।
  4. घोल निर्माण करते समय डिब्बे पर अंकित सावधानियाँ को पढ़कर अच्छी प्रकार समझ लें, तदनुसार कार्रवाई करें।
  5. छिड़काव किये जाने वाली मात्रा में ही घोल का निर्माण करें।
  6. दानेदार कीटनाशक को जल के साथ मिश्रण न बनावें।
  7. मोहरबंद पात्र के सान्द्र कीटनाशक को हाथ के सम्पर्क में न आने दें। काव मशीन के टैंक को न सूंघें।
  8. छिड़काव मशीन के टैंक में कीटनाशक ढालते समय बाहर न गिरने दें।
  9. छिड़काव मिश्रण तैयार करते समय खाना, पीना, चबाना या धुम्रपान करना मना है।

उपकरण

  1. सही प्रकार के उपकरण का ही चयन करें।
  2. रिसनेवाले या दोषपूर्ण उपकरण का प्रयोग न करें।
  3. उचित प्रकार को नोजल का ही प्रयोग न करें।
  4. रुकावट पैदा होने और नोजल को मुंह से न फूंकें तथा साफ करें। इस कार्य हेतु टूथ-ब्रश एवं स्वच्छ जल का ही प्रयोग करें।
  5. अपतृण/खरपतवार  नाशक तथा कीट प्रयोग हेतु एक ही छिड़काव मशीन का उपयोग न करें।

कीटनाशक छिड़काव हेतु सावधानियाँ

  1. केवल सिफारिश की गयी मात्रा तथा सांद्रता के घोल का ही प्रयोग करें।
  2. कीटनाशक का छिड़काव गर्म टिन की अवधि  एवं तेज वायु गति के समय न करें।
  3. वर्षोपरांत या वर्षा के पूर्व (अनुमानित) कीटनाशक का छिड़काव न करें।
  4. वायुगति दिशा के विरुद्ध कीटनाशक का छिड़काव न करें।
  5. इमलसीफियवुल कासंट्रेट फार्मुलेशन का प्रयोग बैटरी चालित यू एल० भी स्प्रेयर से न करें।
  6. छिड़काव के पश्चात स्प्रेयर, बाल्टी आदि को साबुन पानी से साफ कर लें।
  7. बाल्टी या अन्य पात्र जिसका उपयोग  छिड़काव में किया गया है, उसका घरेलू कार्य हेतु पुनः उपयोग न करें।
  8. छिड़काव के तुरंत बाद उपचारित क्षेत्र में जानवर या मजदूर का प्रवेश वर्जित कर दें।

निपटान

  1. बचे हुए छिड़काव घोल को तालाब, जलाशय पर पानी के पाईप  के संपर्क में न आने दें।
  2. उपयोग किये गये बर्तन, , डब्बे को पत्थर से पिचकाकर जल स्रोत से दूर मिट्टी में काफी गहराई में गाड़ दें।
  3. खाली डब्बे का उपयोग खाद्य भंडारण हेतु न करें।

स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार

अंतिम सुधारित : 2/22/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate