অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

झारखण्ड में रासायनिक कीटनाशकों के परंपरागत जैविक विकल्प

परिचय

कीड़े मकोड़े में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के बाद एक जैसे ही बेअसर साबित होने लगता है, उससे अधिक शक्तिशाली कीटनाशक कई खोज होने लगती है|  कीटनाशकों कई खोज और उपभोग कई होड़ में आज सारा धरती और जलश्रोत – प्रदूषित हो गया है|  मनुष्य की नहीं अपितु जीव-जन्तुओं के शरीर में भी कीटनाशकों की उपस्थिति लगातार बढ़तीं जा रही है|  प्रदुषण की भयावता को देखते हुये विकल्पों की खोजबीन शुरू हो गयी है|

नीम है महत्वपूर्ण कीटनाशक

नीम हमारे यहां का ऐसा ही कीटनाशक और औशाधिये वृक्ष है, जिसके गुणों से हमारे पूर्वज हजारों सालोंNeem से परिचित हैं|  आधुनिक जहरीले कीटनाशकों की तुलना में नीम एक सर्वोतम कीटनाशक है|  अनाज के भण्डारण, दीमकों से सुरक्षा से लेकर पेड़ पौधों की हर तरह की बीमारी में इसका उपयोग आज भी किया जाता है|  इस क्षेत्र में किसानों को यदि वैज्ञानिकों के सहयोग मिल जायें तो यह अकेला वृक्ष दुनियां भर के कीटनाशकों के कारखानों को बन्द करवा सकता है| नीम के कीटनाशक गुणों का सवसे उज्जवल पक्ष इसका सर्वथा हानिरहित होता है|आधुनिक कीटनाशकों का प्रयोग जब हम खेतों में करते हैं तो वह शत्रु कीटों के अलावा मित्र कीटों को भी मार डालता है और प्रकृतिक असंतुलन पैदा होता है और कीटनाशकों की मांग लगातार बढ़तीं जाती है|  इसके अलावा आधुनिक कीटनाशकों के दीर्घजीवी होने के कारण पृथ्वी और जलश्रोत प्रदूषित हो रहे हैं, परन्तु नीम ऐसा प्राकृतिक कीटनाशक है जो अपना काम करने के बाद शीघ्र ही अपघटित हो जाता है तथा पृथ्वी की उर्वरा शक्ति बढ़ा देता है|  नीम के औशाधिये और ओगिककीटनाशक गुणों को देखकर ही दुनिया के अनेक देशों में नीम के वृक्षारोपण को प्रोत्साहन दिया गया है|  दुनिया की अनेक प्रोयोग्शालाओं में नीम पर शोध जारी है|

नीम किस प्रकार करता है काम

Neem1हाल ही के वैज्ञानिक शोधों से यह बात सामने आयी है कि नीम के रस को फसल पर छिडकने से कीट दूर भाग जाते हैं| जैसे विज्ञान को जो सक्रीय घटक नीम कि पत्तियों, फलों, छाल और बीजों में मिले हैं वे मैइत और सूत्र कृमि, भृंग मक्खी, पतंगे और टिड्डियों सहित करीब १२५ प्रकार के कीटों को नियंत्रित करने कि क्षमता रखते हैं| नीम का शुद्ध सर तत्व मच्छरों के लावों को मार सकता है|  इस प्रकार यह मच्छर नियन्त्रण के लिये अति उपयोगी है|  मानगोसन जो योगिक नीम के बीजों से प्राप्त होता है|  यह एक प्रभावकारी कीटनाशक है जो अमेरिका के बाज़ारों में मान्यता प्राप्त कर चुका है|  नीम से प्राप्त होने वाला एक और यौगिक है ‘अज्र्द्रेक्ति’|  इसे सुरक्षित और उचित कीटनाशक माना जाता है|  मनीला स्थित अंतराष्टीय अनुसंधान संस्थान ने नीम कि खली और नीम के तेल के कीटनाशक उपयोग की संभवनाओं का पता लगाया है|  संस्थान के पिछले आठ  वर्षों से चल रहे परीक्षणों में पाया गया है कि नीम के तेल और खली के उपयोग से, बीमारियों से होने वाली क्षति में ४० प्रतिशत कि कमी आयी है|चूल्हे से निकली कंडे कि आग (राख) को साग – सब्जियों पर छिड़क कर कीड़े मकोड़े कि रोकथाम का तरीका बहुत पुराना है| ऐसी साग-सब्जियां स्वस्थ के लिये एकदम निरापद होती है|

मक्के की गिल्ली भी है उपयोगी

इसी प्रकार मक्के की गिल्ली (मक्के कि फली से बीज निकालने के बाद बचा हिस्सा) का यदि सहीMakkaतरीके से इस्तेमाल किया जाय तो एक उत्तम प्राकृतिक कीटनाशक का काम कर सकता है|  विज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गिल्ली कि राख में उत्तम किस्म का कीटनाशक, फफूंद – नाशक एवं जीवाणुनाशक गुण होता है|  इनका लाभ उठाकर भविष्य में सस्ती और प्रदुषण रहित जीवाणु नाशक दवाईयां बनायीं जा सकती है|  गिल्ली के राख का उपयोग किसान अपने घरेलू तथा खेती के कामों में कर सकते हैं|  दस ग्राम गिल्ली कि राख को डेढ़ लीटर पानी में घोलकर उबालने तथा छानने के बाद पानी का छिड़काव करने से मूली, गोभी, बैगन, सेम, भिण्डी, लाही इत्यदि सब्जियों में लगने वाले माहु या अन्य कीड़े मारे जा सकते हैं|   गेहूँ,चना, मटर को रखने पर उनमें प्राय: घुन या पायी लग जाती हैं|  एक क्विंटल अनाज में लगभग ३०० ग्राम गिल्ली कि राख मिलाकर रखने से उसमें घुन नहीं जगते|बोने के उपयोग में लाने वाले बीजों का राख के पानी से शोधन करने से अंकुरित बीजों पर लगने वाले कीट नष्ट हो जाते हैं जिससे अंकुरण का प्रतिशत बढ़ जाता है| गिल्ली की राख इसके पानी का इस्तेमाल पौधों में अनेक प्रकार की फफूंदी और जीवाणु रोगों की रोकथाम के लिए किया जा सकता है|  राख के पानी से टमाटर की फसलों को द्धुलसा रोग से बचाया जा सकता है|  आलू तथा अन्य सब्जियों पर राख के सिंधे या पानी के छिड़काव से वायरस जनित रोग को कम किया जा सकता है|  नीम्बू तथा नारंगी जैसे फलों की पत्तियां काली पड़ने की स्थिति में गिल्ली के राख का इस्तेमाल किया जा सकता है|  कालापन समाप्त होने के साथ-साथ फल लगने में मदद मिलती है|  गिल्ली की राख में कोई रासायनिक विष नहीं होता है अत: कीटों को मारने के लिये सब्जियों पर इसका छिड़काव स्वस्थ्य के लिए भी हानिकारक नहीं है|  साथ ही साथ इसका उपयोग प्रदुषण की द्रिस्टी से लाभप्रद है|

कीटनाशकों के प्रदुषण की भयावहता से पश्चिमी देश काफी पहले से परिचित हैं|  अपने देश में भी इसके भयावह परिणाम सामने आने लगे हैं|  देश के जिन प्रान्तों में हरित क्रांति का ज्यादा असर रहा है वहीं पर कीटनाशकों का ज्यादा प्रयोग भी हुआ|  वहीं पर कीटनाशकों का ज्यादा प्रोयग भी हुआ|  इन्हीं प्रान्तों में कीटनाशकों का दुष्प्रभाव भी अधिक रहा है|

कितनी है खपत

भारत में इस समय प्रतिवर्ष लगभग १,००० मीट्रिक टन रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग  से हो  रहा है|  आंध्र प्रदेश में इसकी खपत इस समय सर्वाधिक है|  एक अध्ययन से पाया गया है कि यहां गांव से लेकर हैदराबाद के पंचतारा  होटलों तक पानी और भोजन इन कीटनाशकों से प्रदूषित पाये गये|  इस तरह पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक में भी इन कीटनाशकों के भयावह परिणाम दिखाई पड़ने लगे हैं रासायनिक कीटनाशकों का उत्पादन करने वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियों तथा पश्चिमी सोच वाले वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा भ्रम फैला रखा है कि कीटनाशकों के बगैर पैदावार हो गई नहीं सकती|  संकर किस्म के बीजों का उपयोग एवं खेती पर यह बात कुछ हद तक ठीक है लेकिन यदि परंपरागत बीजों का उपयोग ही खेत में पर्याप्तं मात्रा में जीवांश उपलब्ध हो तथा प्राकृतिक जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाय  तो उत्पादन किसी भी तरह कम नही हो सकता है|  अनेक लोग इस दिशा में काम कर रहे हैं जिन्हें भविष्य में अच्छे परिणाम मिलने कि उम्मीद हैं|

 

स्त्रोत: हलचल, ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान

अंतिम सुधारित : 2/22/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate