परिचय
महत्वाकांक्षी ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम भारत को डिजिटल सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए निर्धारित किया गया है।
डिजिटल इंडिया की प्रकृति रूपांतरकारी है व इससे सुनिश्चित होगा कि सरकारी सेवाएं नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध हों। इस कार्यक्रम का मकसद भारत को डिजिटल रूप से एक सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलना है।
भूमिका
यह कार्यक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स एवं प्रौद्योगिकी विभाग की परिकल्पना है। यह कार्यक्रम 2018 तक चरणबद्ध तरीके से लागू किया जायेगा। डिजिटल इंडिया की प्रकृति रूपांतरकारी है तथा इससे यह सुनिश्चित होगा कि सरकारी सेवाएं नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध हों। इससे सरकारी व प्रशासनिक सेवाओं को आम लोगों तक पहुंचाने के साथ सार्वजनिक जवाबदेही को भी सुनिश्चित करेगा।
फिलहाल अधिकतर इ-गवर्नेस परियोजनाओं के लिए आर्थिक सहायता केंद्र या राज्य सरकारों में संबंधित मंत्रालयों/ विभागों के बजटीय प्रावधानों के जरिये होती है। लेकिन डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अलग-अलग परियोजनाओं के लिए जरूरी कोष का आकलन संबंधित नोडल मंत्रलय/ विभाग करेंगे और उसी के अनुरूप धन का आवंटन किया जायेगा।
कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य
- ब्रॉडबैंड हाइवेज: सामान्य तौर पर ब्रॉडबैंड का मतलब दूरसंचार से है, जिसमें सूचना के संचार के लिए आवृत्तियों (फ्रीक्वेंसीज) के व्यापक बैंड उपलब्ध होते हैं। इस कारण सूचना को कई गुणा तक बढ़ाया जा सकता है और जुड़े हुए तमाम बैंड की विभिन्न फ्रीक्वेंसीज या चैनलों के माध्यम से भेजा जा सकता है। इसके माध्यम से एक निर्दिष्ट समयसीमा में वृहत्तर सूचनाओं को प्रेषित किया जा सकता है। ठीक उसी तरह से जैसे किसी हाइवे पर एक से ज्यादा लेन होने से उतने ही समय में ज्यादा गाड़ियां आवाजाही कर सकती हैं। ब्रॉडबैंड हाइवे निर्माण से अगले तीन सालों के भीतर देशभर के ढाई लाख पंचायतों को इससे जोड़ा जायेगा और लोगों को सार्वजनिक सेवाएं मुहैया करायी जायेंगी।
- मोबाइल कनेक्टिविटी: देशभर में तकरीबन सवा अरब की आबादी में मोबाइल फोन कनेक्शन की संख्या जून, 2014 तक करीब 80 करोड़ थी। शहरी इलाकों तक भले ही मोबाइल फोन पूरी तरह से सुलभ हो गया हो, लेकिन देश के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में अभी भी इसकी सुविधा मुहैया नहीं हो पायी है। हालांकि, बाजार में निजी कंपनियों के कारण इसकी सुविधा में पिछले एक दशक में काफी बढ़ोतरी हुई है। देश के 55,000 गांवों में अगले पांच वर्षो के भीतर मोबाइल संपर्क की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए 20,000 करोड़ के यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) का गठन किया गया है। इससे ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के इस्तेमाल में आसानी होगी।
- पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम: भविष्य में सभी सरकारी विभागों तक आम आदमी की पहुंच बढ़ायी जायेगी। पोस्ट ऑफिस के लिए यह दीर्घावधि विजन वाला कार्यक्रम हो सकता है। इस प्रोग्राम के तहत पोस्ट ऑफिस को मल्टी-सर्विस सेंटर के रूप में बनाया जायेगा। नागरिकों तक सेवाएं मुहैया कराने के लिए यहां अनेक तरह की गतिविधियों को अंजाम दिया जायेगा।
- ई-गवर्नेस: प्रौद्योगिकी के जरिये सरकार को सुधारना: सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग के ट्रांजेक्शंस में सुधार किया जायेगा। विभिन्न विभागों के बीच आपसी सहयोग और आवेदनों को ऑनलाइन ट्रैक किया जायेगा। इसके अलावा, स्कूल प्रमाण पत्रों, वोटर आइडी कार्डस आदि की जहां जरूरत पड़े, वहां इसका ऑनलाइन इस्तेमाल किया जा सकता है। यह कार्यक्रम सेवाओं और मंचों के एकीकरण- यूआइडीएआइ (आधार), पेमेंट गेटवे (बिलों के भुगतान) आदि में मददगार साबित होगा। साथ ही सभी प्रकार के डाटाबेस और सूचनाओं को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मुहैया कराया जायेगा।
- ई-क्रांति- सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी: इसमें अनेक बिंदुओं को फोकस किया गया है। इ-एजुकेशन के तहत सभी स्कूलों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने, सभी स्कूलों (ढाई लाख) को मुफ्त वाइ-फाइ की सुविधा मुहैया कराने और डिजिटल लिटरेसी कार्यक्रम की योजना है। किसानों के लिए रीयल टाइम कीमत की सूचना, नकदी, कजर्, राहत भुगतान, मोबाइल बैंकिंग आदि की ऑनलाइन सेवा प्रदान करना। स्वास्थ्य के क्षेत्र में ऑनलाइन मेडिकल सलाह, रिकॉर्ड और संबंधित दवाओं की आपूर्ति समेत मरीजों की सूचना से जुड़े एक्सचेंज की स्थापना करते हुए लोगों को इ-हेल्थकेयर की सुविधा देना। न्याय के क्षेत्र में इ-कोर्ट, इ-पुलिस, इ-जेल, इ-प्रोसिक्यूशन की सुविधा। वित्तीय इंतजाम के तहत मोबाइल बैंकिंग, माइक्रो-एटीएम प्रोग्राम।
- सभी के लिए जानकारी: इस कार्यक्रम के तहत सूचना और दस्तावेजों तक ऑनलाइन पहुंच कायम की जायेगी। इसके लिए ओपेन डाटा प्लेटफॉर्म मुहैया कराया जायेगा, जिसके माध्यम से नागरिक सूचना तक आसानी से पहुंच सकेंगे। नागरिकों तक सूचनाएं मुहैया कराने के लिए सरकार सोशल मीडिया और वेब आधारित मंचों पर सक्रिय रहेगी। साथ ही, नागरिकों और सरकार के बीच दोतरफा संवाद की व्यवस्था कायम की जायेगी।
- इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़ी तमाम चीजों का निर्माण देश में ही किया जायेगा। इसके तहत ‘नेट जीरो इंपोर्ट्स’ का लक्ष्य रखा गया है ताकि 2020 तक इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सके। इसके लिए आर्थिक नीतियों में संबंधित बदलाव भी किये जायेंगे। फैब-लेस डिजाइन, सेट टॉप बॉक्स, वीसेट, मोबाइल, उपभोक्ता और मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्ट एनर्जी मीटर्स, स्मार्ट कार्डस, माइक्रो-एटीएम आदि को बढ़ावा दिया जायेगा।
- रोजगारपरक सूचना प्रौद्योगिकी: देशभर में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार से रोजगार के अधिकांश प्रारूपों में इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है। इसलिए इस प्रौद्योगिकी के अनुरूप कार्यबल तैयार करने को प्राथमिकता दी जायेगी। कौशल विकास के मौजूदा कार्यक्रमों को इस प्रौद्योगिकी से जोड़ा जायेगा। संचार सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियां ग्रामीण कार्यबल को उनकी अपनी जरूरतों के मुताबिक प्रशिक्षित करेगी। गांवों व छोटे शहरों में लोगों को आइटी से जुड़े जॉब्स के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा। आइटी सेवाओं से जुड़े कारोबार के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जायेगा। इसके लिए दूरसंचार विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
- अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम्स: डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को लागू करने के लिए पहले कुछ बुनियादी ढांचा बनाना होगा यानी इसकी पृष्ठभूमि तैयार करनी होगी।
- संदेशों के लिए आईटी प्लेटफॉर्म
डीईआईटीवाई द्वारा व्यापक स्तर पर संदेश भेजने के लिए एक एप्लीकेशन तैयार किया गया है जिसके दायरे में सभी चुने हुए प्रतिनिधि व सभी सरकारी कर्मचारी आएंगे। 1.36 करोड़ मोबाइल व 22 लाख ईमेल इस डेटाबेस का हिस्से होंगे।
- सरकारी शुभकामनाओं के लिए ई-ग्रिटिंग्स
ई-ग्रिटिंग्स का गुलदस्ता तैयार किया गया है। माईगोव पोर्टल के जरिये ई-ग्रिटिंग्स का क्राउड सोर्सिंग सुनिश्चित किया गया है। ई-ग्रिटिंग्स पोर्टल 14 अगस्त 2014 से काम करना शुरू कर दिया है।
दिल्ली में केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों व डीईआईटीवाई में पहले से इसका संचालन शुरू हो चुका है और शहरी विकास विभाग में भी ऐसी पहल की जा रही है। दूसरे विभागों में भी ऐसी कार्यवाही शुरू हो रही है।
- सभी विश्वविद्यालयों में वाई-फाई
नेशनल नॉलेज नेटवर्क (एनकेएन) के तहत सभी विश्वविद्यालयों को इस योजना में शामिल किया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस योजना को लागू करने के लिए नोडल मंत्रालय होगा।
क. ईमेल संचार का प्राथमिक तरीका होगा।
ख.10 लाख कर्मचारियों का पहले चरण में उन्नतीकरण हो चुका है। दूसरे चरण में मूलभूत ढांचे में और सुधार होंगे जिसके दायरे में मार्च 2015 तक 50 लाख कर्मचारी आएंगे जिसकी लागत 98 करोड़ रुपये होगी। डीईआईटीवाई इस योजना के लिए नोडल विभाग होगा।
- सरकारी ईमेल डिजाइन का मानकीकरण
सरकारी ईमेल के टेम्पलेट्स का मानकीकरण हो रहा है और अक्टूबर 2014 तक तैयार हो जाएगा। इसे डीईआईटीवाई द्वारा लागू किया जाएगा।
- सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट्स
डिजिटल शहरों को बढ़ावा देने के लिए एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों व पर्यटक केंद्रों पर सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट मुहैया कराया जाएगा। इस योजना को दूरसंचार विभाग व शहरी विकास मंत्रालय द्वारा लागू किया जाएगा।
- स्कूली किताबें ईबुक्स होंगी
सभी किताबों को ईबुक्स में तब्दील किया जाएगा। एचआरडी मंत्रालय/डीईआईटीवाई इस योजना के लिए नोडल एजेंसी होंगी।
- एसएमएस आधारित मौसम सूचना, आपदा चेतावनियां
मौसम की सूचनाएं व आपदा चेतावनियां एसएमएस के जरिये दी जाएंगी। डीईआईटीवाई की मोबाइल सेवा प्लेटफार्म पहले ही तैयार हो चुका है और इस काम के लिए उपलब्ध है। एमओईएस (आईएमडी)/एमएचए (एनडीएमए) इस योजना को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी होंगे।
- खोए-पाए बच्चों के लिए नेशनल पोर्टल
क. इसके जरिये खोए-पाए बच्चों से संबंधित सूचनाएं वास्तविक समय के आधार पर जुटाई व साझा की जा सकेंगी और इससे अपराध को रोकने में मदद मिलेगी व त्वरित कार्रवाई में सुधार होगा।
ख. इस परियोजना के लिए डीईआईटीवाई/डीओडब्ल्यूसीडी नोडल एजेंसी होंगे।
स्त्रोत: इंटरनेट, दैनिक समाचारपत्र और पत्र सूचना कार्यालय(पीआईबी-इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी विभाग, संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ब्यौरों के साथ)