एक मिशन मोड परियोजना (एमएमपी) राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) के अंदर एक वैयक्तिक परियोजना है जो बैंकिंग, भूमि अभिलेख या वाणिज्यिक कर आदि के एक पक्ष पर केन्द्रित है।
एनईजीपी के अंदर ''मिशन मोड'' का अर्थ है वे परियोजनाएं जिनमें उद्देश्यों, विस्तारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है और इनके कार्यान्वयन की समय सीमा तथा पड़ाव और मापन योग्य परिणाम तथा सेवा स्तर भी परिभाषित हैं।
एनईजीपी में 31 मिशन मोड परियोजनाएं (एमएमपी) हैं, जिन्हें पुन: राज्य, केन्द्र या समेकित परियोजनाओं में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक राज्य सरकार पांच विशिष्ट एमएमपी को वैयक्तिक जरूरतों के अनुसार भी परिभाषित कर सकती है।
इसमें राज्य राष्ट्रीय ई-शासन योजना (राज्य एम एम पी) के अंतर्गत आनेवाले विषय इस प्रकार है -
नगरपालिकाएं
नगरपालिकाओं में ई-शासन भारत सरकार द्वारा समग्र राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) के तहत संकल्पित एक अनोखा प्रयास है और जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) का लक्ष्य शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के अंदर प्रचालन दक्षताओं में सुधार लाना है।
यह देखा गया है कि वर्तमान में विभिन्न राज्यों में यूएलबीएस में कंप्यूटरीकरण बहुत सीमित या नहीं के बराबर है। वहां आईटी विशेषज्ञता के साथ स्टाफ बहुत सीमित या न के बराबर हैं। प्रक्रियाओं के मानकीकरण में कमी है, और प्रक्रियाएं मुख्य रूप से एक मैनुअल मोड में संचालित की जा रही हैं
15 राज्यों (~ 80 यूएलबी), से 35 मिशन के लिए अभिज्ञात शहरों में शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को लेकर यह प्रयास संकल्पित है जहां 2001 की जनगणना के अनुसार 10 लाख से अधिक आबादी है यहां नागरिकों तक नगर पालिका की सेवाओं की प्रदायगी की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार लाने की आवश्ययकता है। कार्यक्रम के भाग के रूप में न्यूनतम 8 सेवाएं (नागरिकों पर केंद्रित और यूएलबी पर केंद्रित) अभिज्ञात की गई हैं जिन्हें केंद्रीय अनुप्रयोग के रूप में राज्य स्तर पर लागू किया जाएगा और परिणामस्वरूप संबंधित राज्यों के यूएलबी द्वारा उपयोग किया जाएगा।
शिक्षा
भारत के संविधान के तहत शिक्षा एक समवर्ती विषय है और इसमें एक ऐसा पारिस्थितिक तंत्र शामिल है जिसमें केन्द्र और राज्यों में अन्य मंत्रालयों तथा विभागों की अनेक गतिविधियां शामिल हैं। मध्य दिवस भोजन का प्रशासन, छात्रावासों का प्रशासन, छात्रवृत्तियों का संवितरण आदि गतिविधियों के कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिनके लिए सरकार की अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय की आवश्यकता होती है। भारत सरकार की अनेक प्रमुख योजनाएं जैसे सर्व शिक्षा अभियान, मध्य दिवस भोजन, राष्ट्रीय माध्यममिक शिक्षा अभियान आदि जिनके कार्यान्वतयन और निगरानी के लिए आईसीटी की आवश्यकता होती है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय स्कूली शिक्षा में आईसीटी के उपयोग को अनुकूलतम बनाने के लिए राज्यों को सहायता हेतु दिशानिर्देश प्रदान करने के लिए स्कूली शिक्षा में आईसीटी पर राष्ट्रीय नीति तैयार कर रहा है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग को इस एमएमपी की डिजाइन और कार्यान्वयन के लिए नोडल विभाग बनाया गया है।
एमएमपी के कार्यान्वयन के संघीय स्वपरूप को ध्यान में रखते हुए इसे केन्द्रित योजना और केन्द्रित कार्यान्वयन के सिद्धांत पर डिजाइन किया जाएगा।
स्कूली शिक्षा में मिशन मोड परियोजना (एमएमपी) द्वारा एक परिवेश के अनेक पणधारियों को शामिल करने की जरूरत है और इसे वास्तविक प्रयोक्ता केन्द्रित सेवाओं तक लाने की आवश्यकता है, जिनका एक सहमत परियोजना समय अवधि पर प्रभाव हो सके। वर्तमान में आईसीटी की सेवाओं और संभावित हस्तक्षेपों को अभिज्ञात करने के लिए एक प्रारंभिक अध्ययन किया जा रहा है।
सीसीटीएनएस जून , 2009 में आर्थिक कार्य मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली योजना (सीसीटीएनएस) के लिए 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो केन्द्र द्वारा 100% प्रायोजित एक योजना है जिसे 11 वीं पंचवर्षीय योजना अवधि (2009-2012) के शेष भाग के दौरान लागू करने के लिए अनुमोदित किया गया। अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली (सीसीटीएनएस) एमएमपी का लक्ष्य सभी स्तरों पर, विशेष रूप से पुलिस स्टेशन स्तर पर दक्षता और प्रभावी पुलिस कार्रवाई करने के लिए ई -शासन के सिद्धांतों को अपनाने के माध्यम से उन्न्त बनाने के लिए एक व्यापक और एकीकृत प्रणाली बनाने और एक राष्ट्रव्यापी निर्माण आईटी समर्थित आधुनिकतम ट्रैकिंग प्रणाली के विकास के लिए नेटवर्क बुनियादी सुविधाओं पर लक्षित है।
कृषि और सहकारिता विभाग (डीएसी) ने पिछले वर्षों में अनेक आईटी प्रयास किए हैं जैसे एग्मार्क नेट, सीडनेट, डार्कनेट आदि। कृषि मिशन मोड परियोजनाओं में इन आईटी प्रयासों को परियोजना के भाग के रूप में विकसित किए जा रहे नए अनुप्रयोगों/मॉड्यूलों के साथ समेकित करना प्रस्तावित है।
इसी प्रकार, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में भी डीएसी के विभिन्ना कार्यक्रमों के तहत एग्रिसनेट जैसे आईटी अनुप्रयोगों को या तो विकसित किया गया है या ये विकसित होने की प्रक्रिया में है। इन सभी अनुप्रयोगों को केंद्रीय एग्रिपोर्टल (सीएपी) तथा राज्यि एग्रिपोर्टल (एसएपी) के साथ समेकित किया जाएगा, जिन्हें एनईजीपी के तहत संकल्पित किया गया है। केंद्रीय एग्रिपोर्टल (सीएपी) तथा राज्य एग्रिपोर्टल (एसएपी) में पणधारियों द्वारा ऑनलाइन फीडबैक प्रदान करने का विकल्प भी होगा। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि इसी के साथ दक्ष निगरानी में भी सहायता मिलेगी।
एनईजीपी – 1 के विकास के पहले चरण में 100 से अधिक सेवाओं को अभिज्ञात किया गया था और इन्हें विभिन्नव पणधारियों के साथ व्यारपक परामर्श के बाद 22 सेवाओं में प्राथमिकता दी गई थी। इसके अलावा एनईजीपी-1 के विस्तार को परिभाषित किया गया था और सेवाओं तथा कार्य को मानचित्रण किया गया था। छ: राज्ये और डीएसी के विभिन्नग संघटनों एवं विभागों में वास्तविक प्रयोक्तांओं के साथ विस्तृऔत क्षेत्र अध्ययन किए गए है। इसके बाद इन 22 सेवाओं को अंत में अनुप्रयोग विकास और कार्यन्वयन की दृष्टि से 12 सेवाओं के समूह में रखा गया था। इनमें शामिल है जी2एफ (सरकार से किसान), जी2बी (सरकार से व्यापार) और जी2जी (सरकार से सरकार) सेवाएं।
कृषि विभाग द्वारा मिलने वाली सेवाएं हैं -
केबिनेट सचिव की अध्याक्षता में राष्ट्रीभय ई-शासन योजना (एनईजीपी) की शीर्ष समिति ने एनईजीपी के तहत मिशन मोड परियोजना (एमएमपी) के रूप में सार्वजानिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का अनुमोदन किया है।
पीडीएस का कंप्यूकटरीकरण आबंटन और उपयोगिता रिपोर्टिंग, अनाज के भंडारण और आवगमन, शिकायत निपटान और पारदर्शिता पोर्टल, लाभार्थी डेटा बेस के डिजिटाइजेशन, उचित मूल्ये की दुकान का स्व चालन आदि सहित एक सिरे से दूसरे सिरे तक परियोजना को शामिल करने वाले मुख्य कार्यात्मतक क्षेत्रों के रूप में करने की संकल्पना की गई है।
सर्वोच्च समिति की अध्यक्षता में कैबिनेट सचिव ने राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) के लिए स्वास्थ्य को मिशन मोड परियोजना (एमएमपी) में शामिल किए जाने को मंजूरी दे दी है |
आईसीटी कार्यक्रम प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में मातृ और बाल ट्रैकिंग सिस्टम (एमसीटीएस) कार्यक्रम के द्वारा शुरू किया गया है | आईसीटी अस्पताल सूचना प्रणाली सहित दवाओं और टीकों के लिए आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन प्रदान करता है | आईसीटी राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य (एनआरएचएम) में आशा और एएनएम श्रमिकों को एमएमपी के माध्यम से उपकरण उपलब्ध कराने में अग्रसर है|
रोजगार कार्यालय मिशन मोड परियोजना (ईईएमएमपी) श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पूरे भारत में रोजगार कार्यालयों (ईई) के नेटवर्क के माध्यम से प्रदान की जाने वाली आधुनिक रोजगार सेवाओं को उन्नत बनाने के लिए किया गया प्रयास है।
इस एमएमपी से नौकरी पाने वालों और नियोक्ताओं को रोजगार संबंधी सेवाओं और सूचना तक शीघ्रतापूर्वक और आसान पहुंच प्रदान करने में सहायता मिलेगी (संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्र) तथा रोजगार कार्यालय आधुनिक भारत की अर्थव्यवस्था और लचीले व्यापार परिवेश में महत्वोपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम होंगे।
संकल्पना वक्तव्य निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ परिभाषित किया गया है।
रोजगार और प्रशिक्षण पर सूचना का संग्रह और प्रसार, संगठित और असंगठित क्षेत्रों के नौकरी पाने के इच्छुक व्यक्तियों और नियोक्ताओं को देना ताकि कार्यबल की मांग और आपूर्ति के बीच एक उचित संतुलन बनाए रखा जा सके
सभी पणधारियों के लिए रोजगार कार्यालयों की आसान और शीघ्र पहुंच की सेवाएं सृजित करना
संगत रोजगार परामर्श प्रदान करना, क्षमताओं का आकलन और रोजगार परकता को बढ़ाने के लिए नौकरी पाने वालों को व्यावसायिक मार्गदर्शन सेवाएं प्रदान करना
योजना के लिए श्रम बाजार की सूचना की शुद्धता और गुणवत्ता नीति निर्माताओं को सही समय पर प्रदान करना है |
रोजगार कार्यालय द्वारा प्रदान की गई सेवाएं इस प्रकार है
ई-पंचायत
पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) में अपर्याप्त भौतिक और वित्तीय संसाधनों, तकनीकी क्षमताओं और अत्यंत सीमित कम्प्यूटरीकरण की समस्याओं की भरमान है। परिणामस्वरूप पीआरआई की संभाव्यता वरीयता प्राप्त राज्य और केन्द्र की योजनाओं के प्रदायगी चैनल के रूप में और नागरिक सेवाओं के लिए पूरी तरह उपयोग नहीं की जाती है। एनआईसी द्वारा पिछले कुछ वर्षों में पीआरआई के कुछ कम्प्यूटरीकरण प्रयास किए गए हैं, इसके बावजूद ई-शासन की क्रांति देश में अभी पीआरआई को उतनी हद तक स्पर्श नहीं कर पा रही है, जिसके लिए उल्लेखनीय प्रयास की आवश्यरकता है। अत: पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार ने एक मिशन मोड आधार पर पीआरआई के कम्प्यूटरीकरण कार्य को लेने का निर्णय लिया है।
राज्य के राजकोष सरकार की संरचनात्मेक और वित्तीय इकाई हैं और सरकार की वित्तीय प्रणाली प्राप्ति भुगतान के दैनिक लेन देन के निपटान के लिए जिम्मेमदार है।
विभिन्न राज्यों में असंयुक्त रूप में राजकोषों को कम्यूटीरकरण आरंभ किया गया और 2009 तक अधिकांश राज्यों में राजकोष का कम्यूटरीकरण करने की दिशा में कार्य किया गया था, प्रत्येक राज्य ने अपनी कार्यनीत और गति अपनाई है।
परिणामस्वजरूप विभिन्न् राज्य कम्यूटरीकरण के अलग अलग स्तंरों पर हैं। जबकि 'सत्य के एकल स्रोत' के उद्देश्यम को पूरा करने के लिए एक समेकित मार्ग अपनाने की आवश्यतकता महसूस की गई ताकि निर्णय लेने, बजट कार्य को आसान बनाने और सेवास्त्र में सुधार लाने के लिए निर्भर करने योग्य् आंकड़ों तक पहुंचा जा सके। सत्या के एकल स्रोत पर आधारित पुनर्विनियोजन को न्यूनतम बनाने से निर्णय लेने की प्रक्रिया में दक्षता और समय सीमा का पालन किया जा सकता था।
यह महसूस किया गया था कि उपरोक्त उद्देश्य लेन देन स्ततर पर और विभिन्न तरीकों में वर्तमान डेटा को प्रस्तुत करने के लिए उपयुक्त सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से निर्णय लेने की विभिन्न प्रक्रियाओं में समर्थन दिया जा सकता था। अन्यस गतिविधियां, जिनमें शामिल करने की आवश्यकता महसूस की गई वे थीं डीडीओ, राजकोषों और विभिन्न कार्यालयों को आपस में जोड़ना, आवश्यकता होने पर इनके सृजन और अंतराल को कम करने वाले अनुप्रयोग तथा यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापार की री-इंजीनियरी कि लेन देन कागज रहित होते हैं और सूचना को बांटना संभव है। यह मानकर कि राजकोष कार्यों पर मूलभूत कार्य डीडीओ के स्तकर से आरंभ होता है, यह महसूस किया गया था कि राज्यों को डीडीओ के स्तर पर निर्णय लेना चाहिए जो कम्यूटर से जुड़े हैं और साथ ही इनकी संयोजकता को चरणगत रूप से किस प्रकार किया जाए।
यह भी अनिवार्य महसूस किया गया था कि योजना को सफल बनाने के लिए या इसे संभव बनाने के लिए व्यायपार प्रक्रियाओं की रि-इंजीनियरी तथा राजकोष फॉर्मेट का मानकीकरण करने की जरूरत है। जबकि सामान्य लेखा शीर्ष संख्यार सभी राज्योंक में लघु शीर्ष स्तर तक उपलब्ध थीं, फिर भी लघु शीर्ष के नीचे के कोड के राज्यों के स्व निर्णय के अंदर हैं। इसलिए लघु शीर्ष स्तिर के नीचे कोडों का मानकीकरण करने की आवश्यकता डेटा के संकलन और उपयोग करने हेतु आवश्यक था।
राजकोष राज्यों की दक्षता, वित्तीय प्रशासन प्रणाली में पारदर्शिता, बेहतर नकद प्रवाह प्रबंधन, प्राप्तियों और भुगतानों का बेहतर लेखा, उन्नपत विनियामक प्रक्रिया, राज्यं के वित्त पर बेहतर नियंत्रण, मजबूत एमआईएस, लेखा में शुद्धता और गति तथा अन्य के अलावा बजट तैयार करने में दक्षता बढ़ाना।
कम्यूटरीकृत राजकोष और राजकोष प्रणालियों के साथ अन्य संगत प्रणालियों को देशभर में जोड़कर निर्णय लेने में पारदर्शिता की सुविधा हेतु सभी लेन देनों पर नजर रखी जा सकती है।
वाणिज्यिक कर जैसे वैट, सीएसटी आदि को लागू करने में अनेक व्यक्तियों के साथ कार्य करने की आवश्यकता होती है जो राज्य सरकारों की ओर से उपभोक्ताओं से कर संग्रह करते हैं और इसे राज्य के राजकोष में जमा करते हैं। वाणिज्यिक कर विभाग में प्रत्येक राज्य के डीलरों का पंजीकरण होता है और उन्हें पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं।
विभाग द्वारा विवरणी की अवधि तय की जाती है जो राज्य के डीलरों द्वारा जमा की जाती है। विभाग द्वारा चालान और निवल भुगतानों के माध्यम से कर संगह द्वारा राज्य का राजस्व जमा किया जाता है। विभाग आकलनों, कर वापसी, प्रपत्र जारी करने (उदाहरण सी प्रपत्र), कर लेखाकरण, वसूली और अपील के लिए जिम्मेरदार है। वाणिज्यिक कर एमएमपी द्वारा राज्यों और संघ राज्य।
क्षेत्रों की सरकारों को अपने वाणिज्यिक कर प्रशासन विभाग के कम्प्यूटरीकरण और राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों को अपेक्षित हार्डवेयर शीघ्रतापूर्वक लगाने और व्यारपक क्षेत्र आधार पर नेटवर्क परिवेश में अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर प्रणाली स्थापित करने के लिए समर्थन दिया जाता है।
इस एमएमपी में राज्यों के बीच आधुनिक अप्रत्यक्ष कर प्रशासन परिवेश के सृजन की संकल्पना की गई है, जिन्हें उचित समर्थनकारी आईटी मूल संरचना द्वारा सहायता दी जाती है और जो निवेश, आर्थिक वृद्धि तथा वस्तुओं और सेवाओं को भारत के सामान्य बाजारों में मुक्त रूप से उपलब्ध कराने के लिए प्रेरक है। योजना का लक्ष्य राज्यों में सौहार्द पूर्ण रूप से नम्यता के साथ क्षमता निर्माण किया जाना है ताकि स्थानीय स्त्र पर महसूस की गई जरूरतों को पूरा करते हुए पहले से जारी प्रयासों को आगे बढ़ाया जा सके। इसका आशय उन्नत सेवा प्रदायगी तक जाने वाली मुख्यो प्रक्रियाओं का रूपांतरण और सभी पणधारियों के बीच क्षमता निर्माण करना है ताकि बेहतर निष्पादन के साथ सेवाओं की प्रदायगी संभव हो और इसे प्रक्रम री-इंजीनियरी के एक सेवा उन्मुख मार्ग द्वारा अपनाया जाए।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के नोडल मंत्रालय होने के साथ राष्ट्रीय ई शासन योजना (एनईजीपी) के तहत सत्ताइस मिशन मोड परियोजनाओं में से एक है ई-जिला। इस परियोजना का लक्ष्यप बुनियादी प्रशासनिक इकाई अर्थात “जिला प्रशासन” के लिए समर्थन बैकेंड कंप्यूटरीकरण करने के लिए उच्च मात्रा में नागरिक केंद्रित सरकारी सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक वितरण सक्षम द्वारा प्रदान करना है, जो बेहतर लाभ उठाने और राज्य् व्या पी क्षेत्र नेटवर्क (स्वान) , राज्य डेटा केंद्र (एसडीसी) और सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) सेवाओं के तीन बुनियादी स्तंभों का उपयोग नागरिक को अपने दरवाजे पर वितरित करने में करेंगे. एनईजीपी के तहत 16 राज्यों के वर्तमान में किसी भी मिशन मोड परियोजना के द्वारा कवर नहीं किए गए 41 जिलों में ई - जिला प्रायोगिक परियोजनाओं को शुरू किया गया है और इनमें जिला स्तर, उच्च मात्रा में सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से बैकेंड कंप्यूटरीकरण का कार्य किया जाना है ताकि उप जिला/तहसील स्तर पर एक विशिष्ट समय सीमा के भीतर एक स्थायी तरीके में सामान्य सेवा केंद्र(सीएससी) के माध्यम से इन सेवाओं के वितरण में ई – सक्षम प्राप्त की जा सके। अब यह प्रस्ताव है कि ई - जिला एमएमपी का रोलआउट के देश में सभी जिलों में किया जाए।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा देश में पिछले 5 वर्षों से लगभग 1000 सड़क परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) के कम्यूटरीकरण की प्रक्रिया की जा रही है। लगभग 90 प्रतिशत आरटीओ का कम्यूग टरीकरण हो गया है और 80 प्रतिशत आरटीओ को जुड़ाव प्रदान किया गया है। चूंकि आरटीओ द्वारा तैयार दस्ताकवेज (पंजीकरण प्रमाणपत्र-आरसी और ड्राइविंग लाइसेंस-डीएल) पूरे देश में वैध माने जाने वाले दस्ता वेज हैं अत: अनिवार्य था कि पूरे भारत में इन दस्ताावेजों के लिए मानक परिभाषित किए जाएं, ताकि इनकी अंत: प्रचालनीयता और शुद्धता एवं जानकारी की समय पर उपलब्धएता सुनिश्चित हो सके। एससीओएसटीए समिति का गठन इसी प्रयोजन हेतु किया गया था और इसके अलावा स्माओर्ट कार्ड के मानक परिभाषित किए गए हैं जिसमें देश भर में एक समान मानकीकृत सॉफ्टवेयर की सिफारिश की गई थी, जिसे एनआईसी द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। देश भर में वाहन और सारथी नाम के सॉफ्टवेयर कार्यान्वित किए जा रहे हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी का पूरा लाभ पाने के लिए यह अनिवार्य है कि केन्द्रीय डेटाबेस (राज्य रजिस्टर पर और राष्ट्रीय रजिस्टर) स्थापित किया जाए।
भूमि अभिलेख कम्प्यूटरीकरण (सीएलआर) की एक परियोजना 1988-89 में आरंभ की गई थी जिसका आशय भूमि अभिलेख के रखरखाव और अपडेशन की मैनुअल प्रणाली की आंतरिक कमियों को दूर करना था। वर्ष 1997-98 में यह योजना तहसीलों तक बढ़ाई गई ताकि भूमि स्वामियों को उनकी मांग पर अभिलेख दिए जा सके। इस पूरे प्रचालन का फोकस सदैव आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के उपयोग से देश की मौजूदा भू अभिलेख प्रणाली को सुगम्य और रूपांतरित करना रहा है।
दूसरी महत्वपूर्ण योजना अर्थात राजस्व प्रशासन को सुदृढ़ बनाना और भू अभिलेखों का अपडेशन (एसआरए एण्डअ यूलएआर) 1988-89 में आरंभ की गई ताकि राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को अपने भू अभिलेख अपडेट करने का अनुरक्षण में, सर्वेक्षण को सुदृढ़ बनाने और स्थापित करने में सहायता दी जा सके तथा निपटान संगठनों और सर्वेक्षण प्रशिक्षण मूल संरचना, सर्वेक्षण और निपटान प्रचालनों का आधुनिकीकरण एवं राजस्व मशीनरी का सुदृढ़ीकरण किया जा सके।
जबकि सीएलआर और एसआरए एण्डप यूएलआर की योजनाओं को राजस्व प्रशासन को सुदृढ़ बनाने के मूलभूत उद्देश्य के साथ शामिल किया गया था, जबकि इनमें निष्कर्षात्मक शीर्षक में योगदान देने की गतिविधियां भी शामिल हैं। गतिविधियों का विकल्प उन राज्य / संघ राज्य क्षेत्र के पास छोड़ दिया गया था, जिनमें से अधिकांश ने उन गतिविधियों को चुना जो राजस्व प्रशासन को मजबूत बनाती हैं किन्तु इनसे अनिवार्य रूप से निष्कर्षात्मक शीर्षक की ओर बढ़ने में सहायता नहीं मिली। 'गतिविधियों के हैमपर'' का अनुपालन किया गया जिससे दोहराव हुआ और प्रत्येक गतिविधि व्यववस्थित, सीढ़ी के समान मार्ग में कदम बढ़ाने के बजाए अपने आप में एक लक्ष्य बन गई जो निष्किर्षात्मक शीर्ष के चरण पर पहुंच सके। इसके अलावा योजनाओं को बनाने के तरीके में निष्कर्षात्मक शीर्षक के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कोई समय सीमा नहीं थी जिससे इसे सैट किया जा सके और सर्वेक्षण के प्रौद्योगिकी विकल्प सूचित नहीं किए गए थे तथा अधिकांश राज्यों में कार्य उपेक्षित बने रहें। पुन:, दोनों योजनाओं में आपसी जुड़ाव नहीं था, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) मानचित्रण, बैंकों और राजकोषों के साथ जुड़ाव तथा अंतिम पंजीकरण नहीं था, जो भूमि अभिलेख को अपडेट करने का एक महत्वपूर्ण संपर्क है।
अत: राष्ट्रीय भूअभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (एनएलआरएमपी) को दो केन्द्रीगय प्रायोजित योजनाओं सीएलआर और एसआरए एण्डस यूएलआर को मिलाकर देश में शीर्षक की गारंटी के साथ 'टोरेंस प्रणाली' के अनुसार निष्कर्षआत्मक शीर्षकों की प्रणाली आरंभ की गई।
भूमि अभिलेख कम्प्यूटरीकरण (सीएलआर) की एक परियोजना 1988-89 में आरंभ की गई थी जिसका आशय भूमि अभिलेख के रखरखाव और अपडेशन की मैनुअल प्रणाली की आंतरिक कमियों को दूर करना था। वर्ष 1997-98 में यह योजना तहसीलों तक बढ़ाई गई ताकि भूमि स्वामियों को उनकी मांग पर अभिलेख दिए जा सके। इस पूरे प्रचालन का फोकस सदैव आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के उपयोग से देश की मौजूदा भू अभिलेख प्रणाली को सुगम्य और रूपांतरित करना रहा है।
दूसरी महत्वपूर्ण योजना अर्थात राजस्व प्रशासन को सुदृढ़ बनाना और भू अभिलेखों का अपडेशन (एसआरए एण्डअ यूलएआर) 1988-89 में आरंभ की गई ताकि राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को अपने भू अभिलेख अपडेट करने का अनुरक्षण में, सर्वेक्षण को सुदृढ़ बनाने और स्थापित करने में सहायता दी जा सके तथा निपटान संगठनों और सर्वेक्षण प्रशिक्षण मूल संरचना, सर्वेक्षण और निपटान प्रचालनों का आधुनिकीकरण एवं राजस्व मशीनरी का सुदृढ़ीकरण किया जा सके।
इस एमएमपी का मुख्या उद्देश्यज निम्लिियोखित गतिविधियों द्वारा देश में भू अभिलेख प्रणाली को आधुनिक बनाना है।
एनएलआरएमपी द्वारा प्रदत्त सेवाएं इस प्रकार हैं -
जून , 2009 में आर्थिक कार्य मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली योजना (सीसीटीएनएस) के लिए 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो केन्द्र द्वारा 100% प्रायोजित एक योजना है जिसे 11 वीं पंचवर्षीय योजना अवधि (2009-2012) के शेष भाग के दौरान लागू करने के लिए अनुमोदित किया गया।
सीसीटीएनएस एमएमपी के निम्नालिखित उद्देश्य हैं-
जांच, अपराध निरोधक कानून, और व्यवस्था के रखरखाव और यातायात प्रबंधन, आपातकालीन प्रतिक्रिया, आदि जैसे अन्य कार्यों के लिए उन्नत उपकरण प्रदान करना।
आईटी और मुख्य पुलिस प्रचालनों की प्रभावशीलता के लिए उपयोग
आसानी और तेजी से विश्लेषण के लिए जानकारी प्रदान करना|
इनके द्वारा प्रचालन क्षमता बढ़ाएँ
हस्तकार्य की जरूरत को कम करते हुए नीरस और दोहराव वाले कार्य करने में कमी
संचार सुधार जैसे पुलिस संदेश, ईमेल प्रणाली, आदि|
बैक ऑफिस कार्यों को स्वचालित बनाना, और इससे पुलिस कर्मचारियों को केंद्रीय पुलिस कार्यों पर अधिक ध्यान देने केलिए छोड़ना।
राज्य और केंद्र स्तर पर और देश भर में अपराध और आपराधिक डेटाबेस / जानकारी साझा करने के लिए राज्यों में प्लेटफार्मों बनाना|
देश भर में और अन्य एजेंसियों में राज्य स्तर और भारत सरकार के स्तर राज्यों में खुफिया जानकारी साझा करने के लिए एक मंच बनाना|
सार्वजनिक /नागरिक / पणधारकों को बेहतर सेवा वितरण|
स्रोत: इलेक्ट्रॉनिकी व सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार
अंतिम सुधारित : 2/21/2020
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