অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

आम लोगों के लिए सूचना का अधिकार

आम लोगों के लिए सूचना का अधिकार

आम लोगों के लिए सूचना का अधिकार 12 अक्तूबर से देश भर में लागू हो गया है| इस अधिकार के तहत कोई भी व्यक्ति सरकार व सरकारी संस्थाओं से सूचना पा सकता है| सूचना का अधिकार एक्ट 2005 के तहत ऐसी गैर सरकारी संस्थाएँ (एनजीओ) भी आएगी, जिन्हें सरकार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय सहायता मिलती है| देश की सिक्यूरिटी, इंटेलिजेंस एंजेसीज, वैज्ञानिक व आर्थिक हित से जुडी सूचनाएं इसके दायरे से नहीं आती| अधिनियम में सूचना की परिभाषा इस रूप में दी गयी है-

किसी भी रूप में कोई ऐसी सामग्री जिसके अंतर्गत अभिलेख, दस्तावेज, ज्ञापन, ई-मेल, मत, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लॉगबुक, संविदा (टेंडर), रिपोर्ट, कागजात, नमूने, मॉडल, आंकड़ों से संबद्ध सामग्री जिसमें इलेक्ट्रॉनिक रूप से आधारित अभिलेख भी सम्मिलित हैं, सूचना है| सरकार ऐसी सूचना देने से इंकार कर सकता है जिसके प्रकाशन को किसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा निषिद्ध किया गया हो, ऐसी सूचना जिसे देने से संसद या विधानमंडल का विशेषधिकार भंग होता हो, व वाणिज्यिक विश्वास, पारंपरिक गोपनीयताया बौद्धिकसंपदा से सम्बन्धित ऐसी सूचनाएं जिसके प्रगटीकरण से किसी तीसरे पक्ष की प्रतियोगी स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ें| किसी भी व्यक्ति को सूचना पाने के लिए लिखित रूप में आवेदन देने होंगे| ऐसी इलेक्ट्रॉनिक साधनों सीडी आदि के माध्यम से भी किया जा सकता है| आवेदन के साथ राज्य सरकार द्वारा सूचना देने के लिए तय शुल्क दस रूपये जमा करने होगे, जिसकी रसीद दी जाएगी| अधिनियम में या प्रावधान है कि किसी व्यक्ति के जीवन या स्वंत्रता से जुड़ें मामलों के तहत सूचना सरकार को 48 घंटे के अन्दर उपलब्ध करानी होगी\ सामान्य मामलों में या अवधि एक माह (30 दिन) है| किसी सूचना अधिकारी द्वारा नही लेने, सुचना नहीं देने, सूचना को तोड़-मरोड़कर पेश करने व अधूरी सूचना देने की बात लोक सूचना को तोड़-मरोड़कर पेश करने व अधूरी सूचना देने की बात लोक सूचना अधिकारी की जाँच में साबित हो जाने के बाद सम्बन्धित अधिकारी को 250 रूपये प्रति दिन के हिसाब से दंड देना होगा| यह शुल्क आवेदन स्वीकार करने या सम्बन्धित व्यक्ति को सूचना मिल जाने तक देय होगा| जुर्माने के अधिकतम रकम 25 हजार रूपये होगी|

क्यों जरुरी है जानना

  • लोकतंत्र में शासन लोगों के लिए ही होता है| हम शासन चलाने के लिए अपने प्रतिनिधि चुनते हैं| सारा सरकारी काम हमारे लिए हमारे ही पैसों से होता हो|
  • यह काम जरूरतों के अनुसार हो, इसके लिए हमें काम की पूरी-पूरी जानकारी होनी चाहिए| इसे कहते हैं शासन में लोगों की भागीदारी| इसीलिए गाँव के लोगों को यह जानने का अधिकार है कि पुल किसी खास जगह में बनाने का निर्णय कैसे लिया गया| उन्हें यह भी जानने का हक है की पुल बनाने के लिए कितना पैसा तय किया गया है|
  • अब प्रत्येक ब्लॉक, ऑफिस, पंचायत और जिला पंचायत में एक बोर्ड लगाना अनिवार्य है| इस बोर्ड पर अलग-अलग योजनाओं के आंकड़ें, जानकारी देनेवाले सम्बन्धित व्यक्ति का नाम और मामले के निराकरण की अवधि दर्ज की जायगी|
  • सूचना के अधिकार में प्रावधान है कि यदि आप कोई बात पूछते  हैं या जानकारी मांगते है, तो आपको वह जानकारी 15 दिनों के अंतर्गत मिल जायेगी|
  • यदि आपको जानकारी नहीं मिलती है तो आप बड़े अफसर से शिकायत कर सकते हैं जानकारी न देनेवाले व्यक्ति को सजा देने का भी प्रावधान है|

  • क्या-क्या सूचनाएं नहीं दी जा सकती

सूचना का अधिकार 2005 में भी कुछ सूचनाओं को गोपनीयता के दायरे में रखा गया है| अधिनियम में निहित प्रावधानों के तहत राज्य सरकार इन सूचनाओं को देने के लिए बाध्य नहीं है

सरकार निम्न लिखित सूचनाएं नही दे सकती है:

  • देश की एकता और अखंडता और सुरक्षा को नुकसान पहुँचाने वाली सूचनाएं
  • वैसे वैज्ञानिक और आर्थिक मामले जिनके सार्वजानिक होने से सरकार को नुकसान हो|
  • वैसी सूचनाएं जिसके सार्वजानिक होने से न्यायालय या ट्रिब्यूनल की अवमानना हो|
  • वैसी सूचनाएं जिसके सार्वजानिक होने से संसद या विधानसभा के विशेषधिकार का हनन हो|
  • वैसे व्यापारिक या बौद्धिक सूचनाएं जिसके सार्वजानिक होने से प्रतिस्पर्धा में सरकार को नुकसान हो|
  • किसी व्यक्ति की निजी जिंदगी से जुडी सूचनाएं |
  • किसी व्यक्ति से ऐसी जुडी सूचनाएं सार्वजानिक होने से उसके जीवन को खतरा हो|
  • विश्वास के आधार पर विदेश से मिली सूचनाएं
  • किसी तरह की जाँच को प्रभावित करनेवाली सूचनाएं
  • कैबिनेट के लिए तैयार किये गए दस्तावेज|
  • कैबिनेट के लिए तैयार फाइल पर मंत्रिपरिषद के मत्री. विभागीय सचिव द्वारा किया गया विचार विमर्श|
  • किसी से जुडी ऐसी व्यक्तिगत सूचना जिसका जनहित से कोई सम्बंध नही हो|

स्रोत:- सूचना का अधिकार विधेयक, 2005, जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची|

अंतिम सुधारित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate