भारत सरकार ने सभी को शिक्षा प्रदान करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। बावजूद इसके एशिया महाद्वीप में भारत में महिला साक्षरता दर सबसे कम है। 2001 की जनगणना (स्रोत- भारत 2006, प्रकाशन विभाग, भारत सरकार) के अनुसार देश की 49.46 करोड़ की महिला आबादी में मात्र 53.67 प्रतिशत महिलाएँ हीं साक्षर थी। इसका मतलब यह है कि भारत में आज लगभग 22.91 करोड़ महिलाएँ निरक्षर हैं।
इस निम्न स्तरीय साक्षरता का नकारात्मक असर सिर्फ महिलाओं के जीवन स्तर पर ही नहीं अपितु उनके परिवार एवं देश के आर्थिक विकास पर भी पड़ा है। अध्ययन से यह पता चलता है कि निरक्षर महिलाओं में सामान्यतया उच्च मातृत्व मृत्यु दर, निम्न पोषाहार स्तर, न्यून आय अर्जन क्षमता और परिवार में उन्हें बहुत ही कम स्वायतता प्राप्त होती है। महिलाओं में निरक्षरता का नकारात्मक प्रभाव उसके बच्चों के स्वास्थ्य एवं रहन-सहन पर भी पड़ता है। उदाहरण के लिए, हाल में किये गये एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि शिशु मृत्य दर और माताओं की शैक्षणिक स्तर में गहरा संबंध है। इसके अतिरिक्त, शिक्षित जनसंख्या की कमी देश के आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न कर रही है।
भारत सरकार द्वारा 2004 में अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग की बालिकाओं के लिए सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की स्थापना के लिए कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना का शुभारंभ किया गया था। कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना की शुरुआत प्रथम दो वर्ष तक एक अलग योजना के रूप में सर्व शिक्षा अभियान, बालिकाओं के लिए प्राथमिक स्तर पर शिक्षा दिलाने का राष्ट्रीय कार्यक्रम व महिला समाख्या योजना के साथ सामंजस्य बैठाते हुए शुरू की गई थी, लेकिन 1 अप्रैल, 2007 से इसे सर्व शिक्षा अभियान में एक अलग घटक के रूप में विलय कर दिया दिया।
यह योजना वर्ष 2004 से उन सभी पिछड़े क्षेत्रों में क्रियान्वित की जा रही है जहाँ ग्रामीण महिला साक्षरता का दर राष्ट्रीय स्तर (46.13 प्रतिशत) से कम हों और 2001 की जनगणना के अनुसार लिंग भेद राष्ट्रीय औसत- 21.59 से अधिक हों। इन प्रखण्डों में स्कूल की स्थापना निम्न कुछ बातों को ध्यान में रखकर किया जायेगा-
1 अप्रैल, 2008 से निम्न तथ्यों को शामिल करते हुए कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना के लिए पात्र प्रखण्डों की शर्तों में संशोधन किया गया है -
भारत सरकार ने देश के दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जाति /जनजाति / पिछड़े वर्ग/अल्पसंख्यक समुदाय के बालिकाओं के लिए प्रारंभिक स्तर पर 750 आवासीय विद्यालय (ठहरने की सुविधा सहित) खोलने के लिए कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना की शुरुआत की है। यह नई योजना, प्रारंभिक शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अंतर्गत चल रही योजनाएँ जैसे: सर्व शिक्षा अभियान, प्रारंभिक स्तर पर बालिका शिक्षा के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम तथा महिला समाख्या के साथ मिलकर कार्य करेंगी।
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय राज्य के शैक्षिक रूप से पिछड़े वैसे प्रखंडों में प्रारम्भ की जानी है जहां जनगणना 2001 के अनुसार ग्रामीण महिला साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से नीचे हो तथा साक्षरता का लैंगिक अन्तर (जेन्डर गैप) राष्ट्रीय औसत से ऊपर हों (राष्ट्रीय ग्रामीण महिला साक्षरता दर 46.58 प्रतिशत तथा राष्ट्रीय जेन्डर गैप 21.70 प्रतिशत है)। यदि उस क्षेत्र में एकाधिक विद्यालय हो तो वैसी स्थिति में उस विद्यालय का चयन किया जाएगा जिसकी अपनी पर्याप्त भूमि हो तथा छात्राओं की संख्या दूसरे विद्यालय की तुलना में अधिक हो।
वैसे क्षेत्र जहां अधिक संख्या में छोटे-छोटे बिखरे हुए निवास स्थल हों जो विद्यालय के लिए उपयुक्त नहीं हो।
अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यक समुदाय की घनी आबादी हो, महिला साक्षरता दर नीचे हो एवं/ अथवा विद्यालय से बाहर लड़कियों की संख्या सर्वाधिक हो।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के मुख्य उद्देश्य निम्नांकित हैं :
योजना के अंतर्गत 10वीं योजना में चरणबद्ध ढ़ंग से 500-750 के बीच आवासीय विद्यालय, प्रति स्कूल 19.05 लाख रुपये के आवर्ती लागत और 26.25 लाख रुपये के अनावर्ती लागत मूल्य के अनुमानित लागत पर खोला जायेगा। प्रारंभ में, स्थान के निर्धारण के बाद, प्रस्तावित विद्यालय भाड़े के भवन या उपलब्ध सरकारी भवनों में खोला जायेगा।
ऐसे आवासीय विद्यालय केवल उन पिछड़े प्रखंडों में खोले जायेंगे जहाँ सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और जनजातीय मामले के मंत्रालय के अंतर्गत बालिकाओं के प्रारंभिक शिक्षा के लिए कोई आवासीय विद्यालय न हो। इसका सुनिश्चय सर्व शिक्षा अभियान के जिला स्तरीय पदाधिकारी, अन्य विभाग/मंत्रालय के साथ समन्वय स्थापित कर कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय पहल के लिए वास्तविक जिला स्तरीय योजना तैयार करते समय करेंगे। आसानी से कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय के चयन के लिए, भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय द्वारा चलाये जा रहे शैक्षणिक परिसर की सूची भी संलग्न की जायेगी।
वैसे स्थान पर आवासीय विद्यालय की स्थापना करना जहाँ अनुसूचित जाति/जनजाति/ पिछड़े वर्ग/अल्पसंख्यक समुदाय के कम से कम 50 लड़कियाँ प्राथमिक स्तर पर पढ़ने के लिए तैयार या उपलब्ध हों। योग्य बालिकाओं के आधार पर यह संख्या 50 से अधिक भी हो सकती है। इस तरह के विद्यालय के लिए तीन संभव मॉडल की पहचान की गई है और उसे अनुसूची 1 (क) से 1(ग) में दिया गया है। संशोधित वित्तीय प्रतिमान 1 अप्रैल, 2008 के बाद से स्वीकृत नवीन कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय के लिए लागू होंगी। जबकि 2180 कार्यरत विद्यालयों के लिए मार्च 2007 तक जारी राशि के लिए शेष स्वीकृत राशि 1 अप्रैल, 2008 की दर से देय होगा।
प्राथमिक स्तर पर थोड़ी बड़ी लड़कियों पर जोर होगी जो स्कूल से बाहर हैं और अपना प्राथमिक विद्यालय (10 +) पूरी करने में अक्षम हैं। हालाँकि, दूरदराज के क्षेत्रों के (खानाबदोशी जनसंख्या व बिखड़े निवास स्थान जहाँ प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालय की सुविधा नहीं है) बड़ी उम्र की लड़कियों को भी शामिल किया जा सकता है।
उच्च प्राथमिक स्तर पर जोर, विशेष रूप से किशोरियों पर होगी जो नियमित स्कूल में जाने में सक्षम नहीं हैं।
योजना के दिशा-निर्देश के अनुसार ऐसे आवासीय विद्यालय में 75 प्रतिशत सीटों पर अनुसूचित जाति/जनजाति/पिछड़े वर्ग/अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं को नामांकन में प्राथमिकता दी जायेगी। उनके बाद केवल शेष 25 प्रतिशत सीटों पर ऐसी बालिकाओं का नामांकन होगा जो गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार से आते हों।
जहाँ तक संभव हो, स्थापित स्वयं सेवी संस्थाएं और अन्य गैर लाभकारी निकायों को, ऐसे स्कूल को चलाने में शामिल किया जायेगा। इन आवासीय विद्यालयों का व्यावसायिक घरानों द्वारा भी ग्रहण किया जा सकता है। इस मामले में एक अलग दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के मॉडल- 3 में 50 छात्राओं हेतु छात्रावास की व्यवस्था की जानी है। महिला समाख्या जिलों में छात्रावास का संचालन महिला समाख्या के माध्यम से किया जाएगा जबकि गैर महिला समाख्या जिलों में छात्रावास के संचालन हेतु इच्छुक स्वयं सेवी संस्था तथा स्थानीय निकाय से आवेदन आमंत्रित किए जायेंगे। इस परिस्थिति में उपर्युक्त स्वयं सेवी संस्था के चयन हेतु निम्न शर्त्तें निर्धारित की गयी हैं:
यह योजना, महिला समाख्या राज्यों में, राज्य सरकार द्वारा महिला समाख्या सोसाइटी के माध्यम से जबकि अन्य राज्यों में सर्व शिक्षा अभियान सोसाइटी के माध्यम से लागू की जायेगी। राज्य सर्व शिक्षा अभियान सोसाइटी को निधि सर्व शिक्षा अभियान मानक के अनुसार जारी की जाएगी। राज्य व जिला स्तर पर योजना का संचालन व मूल्यांकन महिला समाख्या संसाधन केन्द्र द्वारा और गैर महिला समाख्या राज्यों में सर्व शिक्षा अभियान सोसाइटी में प्रारंभिक स्तर पर बालिका शिक्षा के राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए गठित समिति, करेगी।
आवासीय विद्यालय के शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण, जिला शैक्षिक प्रशिक्षण संस्थान, प्रखंड संसाधन केन्द्र और महिला समाख्या संसाधन समूह के सहयोग से किया जायेगा।
प्रारंभिक स्तर पर बालिका शिक्षा के राष्ट्रीय कार्यक्रम (एन.पी.ई.जी.ई.एल) योजना के तहत् स्वीकृत राज्य स्तरीय समन्वय समिति, कार्यक्रम को निर्देशन और सहायता प्रदान करेगी। इस समूह में राज्य सरकार के संबंधित विभाग व भारत सरकार के प्रतिनिधि, बालिका शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित विशेषज्ञ व शिक्षाविद् आदि भी शामिल होंगे। इस समिति द्वारा विद्यालय के उपयुक्त मॉडल एवं स्थान का निर्धारण, जिला समिति द्वारा कार्यान्वित की जा रही प्रारंभिक स्तर पर बालिका शिक्षा के राष्ट्रीय कार्यक्रम (एऩ.पी.ई.जी.ई.एल. ) एवं नये प्रस्तावित योजना के सिफारिश के आधार पर की जायेगी।
राष्ट्रीय सहायता समूह को राष्ट्रीय स्तर पर महिला समाख्या कार्यक्रम के अंतर्गत गठन किया गया है जो कार्यक्रम में उठने वाले अवधारणात्मक मुद्दे एवं मामले पर अपनी प्रतिक्रिया एवं सुझाव देंगे और बालिका शिक्षा के बारे में भारत सरकार को नीतिगत मामले में सलाह देंगे। यह समूह, शोध व प्रशिक्षण संस्थान, शिक्षाविद् और गैर सरकारी संस्थाओं के साथ इंटरफेस (अंतरमुख) प्रदान करेगी और बालिका शिक्षा के क्षेत्र में और लोगों के अनुभव को शामिल करेगा।
राष्ट्रीय सहायता समूह जिसमें कम लोग शामिल होते और वे साल में केवल दो से तीन बार मिलते हैं, राष्ट्रीय सहायता समूह का लघु उप समिति का गठन : शिक्षकों को लिंग प्रशिक्षण (जेन्डर ट्रेनिंग), लिंग आधारित शिक्षण-प्रवीणता सामग्री का विकास, दृश्य-श्रव्य कार्यक्रम का विकास आदि विशिष्ट उद्देश्य़ की प्राप्ति के लिए किया जाएगा। इसके लिए वह संबंधित संस्थाओं से अतिरिक्त कर्मियों या उस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ की सेवा भी प्राप्त कर सकेगा।
बालिकाओं की संख्या और प्रदान किये जाने वाले आवासीय विद्यालय के प्रकार के आधार पर स्कूल के प्रारूप का चयन, इस उद्देश्य के लिए जिला समिति द्वारा दी गई सिफारिशों के आधार पर, राज्य स्तरीय समिति द्वारा किया जायेगा। जहाँ जरूरी हो प्रस्ताव राष्ट्रीय स्तर पर गठित सेल को अग्रसारित किया जायेगा जो बाह्य अभिकरण या परामर्शदाता की सहायता से उसका मूल्याँकन करेगा।
कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय के लिए केन्द्र सरकार, राज्य व केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए वित्तीय अंशदान का नियम सर्व शिक्षा अभियान के समान होगा, जैसा कि यह 1 अप्रैल, 2007 से सर्व शिक्षा अभियान के एक घटक के रूप में कार्यरत है।
सर्व शिक्षा अभियान के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय भागीदारी नौवीं योजना अवधि के दौरान 85:15; दसवीं योजना में 75:25 तथा उसके बाद यह 50:50 की होगी। लागत को वहन करने की वचनबद्धता राज्य सरकारों से लिखित रूप में ली जाएगी।
सर्व शिक्षा अभियान और प्रारंभिक स्तर पर बालिका शिक्षा के राष्ट्रीय कार्यक्रम (एन.पी.ई.जी.ई.एल) के लिए पहले से ही तैयार प्रावधान में, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना का प्रावधान अतिरिक्त प्रावधान होगा। सर्व शिक्षा अभियान सोसाइटी, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना को प्रारंभिक स्तर पर बालिका शिक्षा के राष्ट्रीय कार्यक्रम (एन.पी.ई.जी.ई.एल) व महिला समाख्या कार्यक्रम के साथ समन्वय स्थापित करने को सुनिश्चित करेंगे। यह इस बात का भी सुनिश्चित करेंगे कि उसके लिए निर्गत या दी गई निधि उचित रूप से निवेश हों तथा एक ही गतिविधियों का दोनों जगह दोहरापन न हो।
भारत सरकार, इस उद्देश्य के लिए निधि सीधे सर्व शिक्षा अभियान क्रियान्वयन समिति को जारी करेगी। राज्य सरकारें भी अपना हिस्सा राज्य क्रियान्वयन सोसाइटी को जारी करेगी। उसके बाद, जहाँ जरूरी हो, वहाँ निधि महिला समाख्या सोसाइटी को जारी किया जायेगा। उन राज्यों में जहाँ महिला समाख्या को क्रियान्वित नहीं किया गया हो, वहाँ इस योजना का क्रियान्वयन सर्व शिक्षा अभियान सोसाइटी के जेन्डर यूनिट के माध्यम से की जायेगी और सर्व शिक्षा अभियान के लिए उपयोग में लाये जा रहे विद्यमान तंत्र को उपयोग में लाया जायेगा।
राज्य सोसाइटी को कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना निधि को संचालित करने के लिए बैंक में एक अलग जमा खाता (सेविंग्स अकाउंट) खुलवानी चाहिए। राज्य सरकार को भी एक अलग बजट शीर्षक से सर्व शिक्षा अभियान सोसाइटी को समान मात्रा में निधि जारी करनी चाहिए। उसी अनुरूप जिला एवं उप जिला संरचना पर भी अलग अकाउंट बनाकर देखभाल करनी होगी।
अनुलग्नक 1 (क)
वित्तीय आकलन -1
(परिदृश्य 1: 100 बालिकाओं के लिए लागत आकलन)
अनावर्ती:
रुपये लाख में
खर्च का विषय राशि प्रति स्कूल *
1. भवन 20.00
2. कुर्सी-टेबल / रसोई उपकरण के साथ उपकरण 2.50
3. शिक्षक अध्ययन सामग्री और पुस्तकालय पुस्तक सहित उपकरण - 3.00
4. बिछावन 0.75
कुल - 26.25
प्रति वर्ष आवर्ती लागत :
रुपये लाख में
खर्च का विषय राशि प्रति स्कूल *
1. बालिका छात्रा की देखभाल के लिए 750 9.00 रुपये प्रति छात्रा की दर से निधि।
2. 500.60 रुपये की दर से प्रत्येक बालिका छात्रा को छात्रवृत्ति
3. 50 रुपये प्रति माह की दर से पाठ्यचर्या पुस्तक, स्टेशनरी और अन्य शैक्षिक सामग्री के लिए राशि 0.60
4. परीक्षा शुल्क 0.01
5. वेतन : 6.49
वार्डन या संरक्षक- 1
पूर्णकालिक शिक्षक - 4
अंशकालिक शिक्षक- 3
सहायक कर्मचारी (लेखाकार या लेखापाल/सहायक, लिपिक, चौकीदार एवं रसोईया)- 2 , 6.49
वोकेशनल प्रशिक्षण /विशिष्ट कुशलता प्रशिक्षण 0.40
बिजली / जल कर 0.50
750 रुपये प्रति बच्चे की दर स्वास्थ्य देखभाल /आकस्मिक निधि 0.75
देखभाल के साथ विविध खर्च के लिए निधि 0.40
10 प्रारंभिक कैम्प 0.15
11 अभिभावक शिक्षक संघ / विद्यालय कार्य 0.15
कुल 19.05
* 100 लड़कियों के आधार पर की गई गणना पर आधारित। हालाँकि, लड़कियों की संख्या बढ़ सकती है।
अनुसूची 1 (ख)
वित्तीय आकलन - 2
(परिदृश्य 2- 50 बालिकाओं के लिए लागत आकलन)
अनावर्ती:
रुपये लाख में
खर्च का विषय राशि प्रति स्कूल
1. भवन 15.00
2. कुर्सी-टेबल / रसोई उपकरण के साथ उपकरण 2.50
3. शिक्षक अध्ययन सामग्री और पुस्तकालय पुस्तक सहित उपकरण के लिए निधि 3.00
4. बिछावन 0.75
कुल 21.25
प्रति वर्ष आवर्ती लागत :
रुपये लाख में
खर्च का विषय राशि प्रति स्कूल *
1. बालिका छात्रा की देखभाल के लिए 7504.50 रुपये प्रति छात्रा की दर से निधि।
2. 50 0.3 रुपये की दर से प्रत्येक बालिका छात्रा को छात्रवृत्ति
3. 50 रुपये प्रति माह की दर से पाठ्यचर्या पुस्तक, स्टेशनरी और अन्य शैक्षिक सामग्री के लिए राशि 0.3
4. परीक्षा शुल्क
5. वेतन : 6.49
वार्डन या संरक्षक - 1
पूर्णकालिक शिक्षक- 4
अंशकालिक शिक्षक- 3
सहायक कर्मचारी (लेखाकार या लेखापाल/सहायक, लिपिक, चौकीदार एवं रसोईया)- 2
वोकेशनल प्रशिक्षण /विशिष्ट कुशलता प्रशिक्षण 0.3
बिजली / जल कर
750 रुपये बच्चे की दर स्वास्थ्य देखभाल /आकस्मिक निधि
देखभाल के विविध खर्च के लिए 0.35
प्रारंभिक कैम्प 0.1
अभिभावक शिक्षक संघ / विद्यालय कार्य 0.1
कुल 12.815
* 150 लड़कियों के आधार पर की गई गणना पर आधारित। हालाँकि, लड़कियों की संख्या बढ़ भी सकती है।
अनुसूची 1(ग)
वित्तीय आकलन -3
(परिदृश्य 3: विद्यमान बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय)
अनावर्ती:
रुपये लाख में
खर्च का विषय राशि प्रति स्कूल *
1. भवन 15.00
2. कुर्सी-टेबल / रसोई उपकरण के साथ उपकरण 2.50
3. शिक्षक अध्ययन सामग्री और पुस्तकालय पुस्तक सहित उपकरण 3.00
4. बिछावन 0.75
कुल 21.25
प्रति वर्ष आवर्तक लागत :
रुपये लाख में
खर्च के विषय, राशि प्रति स्कूल *
1. बालिका छात्रा की देखभाल के लिए 7504.50 रुपये प्रति छात्रा की दर से निधि।
2. 50 0.3 रुपये की दर से प्रत्येक बालिका छात्रा को छात्रवृत्ति
3. 50 रुपये प्रति माह की दर से पाठ्यचर्या पुस्तक, स्टेशनरी और अन्य शैक्षिक सामग्री के लिए राशि 0.3
4. परीक्षा शुल्क .01
5. वेतन : 3.6
वार्डन या संरक्षक - 1
अल्पकालिक शिक्षक - 3
सहायक कर्मचारी (लेखाकार या लेखापाल/सहायक, लिपिक, चौकीदार एवं रसोईया) - 2
वोकेशनल प्रशिक्षण /विशिष्ट कुशलता प्रशिक्षण 0.3
बिजली / जल कर
750 रुपये बच्चे की दर स्वास्थ्य देखभाल /आकस्मिक निधि 0.375
देखभाल के साथ विविध खर्च 0.35
प्रारंभिक कैम्प 0.1
अभिभावक शिक्षक संघ / विद्यालय कार्य 0.1
कुल 12.८१५
स्त्रोत: शिक्षा विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम सुधारित : 2/3/2023
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