অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

ऊर्जा बचत योजना परियोजना संबंधी नीति

ऊर्जा बचत योजना परियोजना संबंधी नीति

प्रयोजन

ऊर्जा सेवा कंपनी (ईएससीओ) द्वारा या स्वयं ऊर्जा दक्षता उपाय करने वाले एंटिटी द्वारा निष्पादित ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं का वित्तपोषण करना।

पात्रता

नगरपालिका / निगम और अन्य सरकारी एजेंसियों के स्वामित्व के ऐसे भवन, टाउनशिप, जिन्हें सरकार / पीएसयू के लिए स्वामित्व में लिया गया हो और पीएसयू की औद्योगिक ऊर्जा बचत परियोजना संबंधी ऊर्जा बचत परियोजनाएं।

प्राइवेट स्वामित्व के भवन टाउनशिप, जिनमें स्ट्रीट लाइट भी शामिल है, संबंधी ऊर्जा बचत परियोजनाएं और अन्य औद्योगिक ऊर्जा बचत परियोजनाएं।

ऊर्जा बचत कंपनियों के आवेदक होने की स्थिति में उन्होंने कम से कम एक परियोजना का सफलतापूर्वक निष्पादन किया हो।

प्रचालन नीति विवरण के अधीन एंटिटी और परियोजना की पात्रता का मापदंड स्वामी द्वारा या ऊर्जा सेवा कंपनी द्वारा निष्पादित ऊर्जा बचत परियोजनाओं के लिए यह सहायता लागू होगी।

वित्तपोषण का प्रकार

आवधिक ऋण

विद्यमान उच्च लागत वाले आवधिक ऋण का पुनः वित्तपोषण / प्रतिस्थापन

मूल्य निरूपण

आवेदक द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार और प्रस्तुत किया जाएगा। मूल्य निरूपण का केंद्र एंटिटी और परियोजनाएं होंगी, जिनमें प्रमोटरों की तकनीकी और वित्तीय योग्यता, उनकी शक्ति और कमजोरियां, ऊर्जा लेखा परीक्षा के निष्कर्षों का मूल्यांकन लोड सर्वेक्षण, आधारभूत परिकलनों का मूल्यांकन, प्रस्तावित ऊर्जा दक्षता उपाय, पिछला अनुभव और ऊर्जा दक्षता प्रणाली के निष्पादन के ऐसे उपाय, विधियां/ढांचे, माप और बचत सुनिश्चित करने के लिए मापन और सत्यापन का तरीका, अदायगी तंत्र, वित्तीय प्रतिरूपण, वापसी अवधि, ऋण सेवा, प्रतिभूति आदि भी शामिल हैं। निगम के मूल्य निरूपण में ऊर्जा प्रबंधन सेवा करार / संविदा और अदायगी प्रतिभूति तंत्र के ढांचे पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

अदायगी प्रतिभूति

ऊर्जा बचत के कारण की जाने वाली अदायगी पूर्णतः सुरक्षित होनी चाहिए और उसे निलंब (एस्क्रो) लेखा के माध्यम से प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिस पर स्वामी, ऊर्जा सेवा कंपनी, उनके बैंकर और उधारकर्ताओं के बीच किए गए करार लागू होंगे। स्वामी के अभिनिर्धारित राजस्व को निलंब (एस्क्रो) लेखा में सीधे जमा किया जाएगा और स्वामी लेखे की समुचित वित्तव्यवस्था के लिए जिम्मेदार होगा।

ऊर्जा सेवा कंपनी बैंक गारंटी मुहैया कराएगी, ताकि गारंटित ऊर्जा सेवा की कमी को पूरा किया जा सके। स्वामी को गारंटित ऊर्जा सेवा की अदायगी के लिए गारंटी देनी होगी और उसे स्वामी के कार्यों के रूप में ऊर्जा बचत समझा जाएगा। यह गारंटी पीएफसी की संतुष्टि के अनुसार दी जाएगी। गारंटित ऊर्जा बचत की परिभाषा ऊर्जा प्रबंधन सेवा करार में दी जाएगी। दोनों गारंटियों को न्यास तथा प्रतिधारण लेखा । निलंब (एस्क्रो) लेखा सेजोड़ा जाएगा।

सहायता की सीमा

राज्य / केंद्रीय क्षेत्र के उधारकर्ता : कुल लागत के 90 प्रतिशत तक (भले ही परियोजना की लागत कुछ भी हो)

प्राइवेट क्षेत्र के उधारकर्ता

यदि परयोजना की लागत 25 करोड़ रुपए से कम हो- ऋण- कुल परियोजना लागत का 50 प्रतिशत

यदि परियोजना लागत 25 करोड़ रुपए से अधिक हो- ऋण- 25 करोड़ रुपए का 70 प्रतिशत और परियोजना लागत का 50 प्रतिशत, जो 25 करोड़ रुपए से अधिक हो।

न्यूनतम ऋण रकम

1.00 करोड़ रुपए की न्यूनतम ऋण रकम पर इस योजना के अधीन विचार किया जाएगा।

अपफ्रंट इक्विटी

प्रमोटर ऊर्जा बचत परियोजना में 100 प्रतिशत अपफ्रंट इक्विटी लाएगा । लाएंगे और निवेश करेगा / करेंगे।

ब्याज की दर और अन्य प्रभार

ऊर्जा बचत परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए ब्याज की दर वही होगी, जो वर्तमान में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के मामले में लागू होती है। प्राइवेट / राज्य / केंद्रीय क्षेत्र के उधारकर्ताओं द्वारा निष्पादित की जा रही ऊर्जा बचत परियोजनाओं पर भी यही दर लागू होगी।

वित्तीय प्रभार

अपफ्रंट शल्क / प्रतिबद्धता प्रभार, प्रक्रिया शुल्क, दांडिक ब्याज आदि जैसे वित्तीय प्रभार पीएफसी की नीति के अनुसार लगाए जाएंगे।

ऋण स्थगन और वापसी अवधि

वापसी के लिए अधिकतम 5 वर्ष की अवधि दी जाएगी, जो परियोजना के चालू होने की तारीख से लागू होगी और इसमें तीन माह की ऋण स्थगन अवधि दी जाएगी।

प्रतिभूति

राज्य/ प्राइवेट क्षेत्र पर लागू पीएफसी की मानक नीति के अनुसार

राज्य / केंद्रीय क्षेत्र का । के प्रमोटर :

(i)  राज्य / केंद्र सरकारी गारंटी या परिसंपत्तियों पर प्रभार

(ii) निलंब (एस्क्रो) लेखा / साख पत्रे

प्राइवेट क्षेत्र का / के प्रमोटर :

(i)  प्रारंभिक प्रतिभूति : परिसंपत्तियों पर प्रभारित

(ii) द्विपक्षीय प्रतिभूति : परियोजना के अलग-अलग चरणों में विभिन्न जोखिमों को सुरक्षित करने के लिए द्विपक्षीय प्रतिभूति की आवश्यकता का मूल्य निरूपण के दौरान मूल्यांकन किया जाएगा।

इसके अलावा एक न्यास और प्रतिधारण लेखा तंत्र या निलंब (एस्क्रो) तंत्र तैयार किया जाएगा, जिसके माध्यम से परयोजना के रोकड़ प्रवाह का मानीटर किया जाएगा और इस तरीके से उसका उपयोग किया जाएगा, जो निर्माण तथा प्रचालन अवधि के दौरान पीएफसी द्वारा तय की जाए।

स्त्रोत: विद्युत् मंत्रालय

 

अंतिम सुधारित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate