ईसीएस, बार-बार एवं आवधिक आधार पर होने वाले इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरणों का माध्यम है । संस्थाओं द्वारा ईसीएस का प्रयोग लाभांश, ब्याज, वेतन, पेंशन आदि के बड़े भुगतानों के थोक वितरणों के लिए अथवा टेलीफोन, बिजली, पेयजल की देयताएं, उपकर/ कर वसूली, ऋण किश्तों के पुनर्भुगतान, पारस्परिक निधियों के आवधिक निवेशों इत्यादि में भुगतान करने के लिए किया जाता है। ईसीएस वस्तुत: एक ईसीएस केन्द्र के एक बैंक खाता से कई बैंक खातों अथवा इसके विपरीत मुद्रा के थोक अंतरण की सुविधा प्रदान करता है।
प्रमुख रूप से ईसीएस के दो घटक हैं ईसीएस क्रेडिट और ईसीएस डेबिट।
ईसीएस क्रेडिट का प्रयोग हिताधिकारियों की बड़ी संख्या को क्रेडिट देने के लिए किया जाता है जिनका खाता ईसीएस केन्द्र के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत स्थित विभिन्न बैंक शाखाओं में होता है और संस्था का बैंक खाता (प्रयोक्ता संस्था का खाता) एक बार ही डेबिट किया जाता है। ईसीएस क्रेडिट में प्रयोक्ता संस्था का लाभांश, ब्याज, वेतन, पेंशन आदि का भुगतान किया जाता है।
ईसीएस डेबिट का प्रयोग ईसीएस केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में स्थित विभिन्न बैंक शाखाओं के बहुत से खातों को डेबिट करने के लिए किया जाता है। इसमें बैंक का खाता (प्रयोक्ता संस्था का खाता) एक बार ही क्रेडिट होता है। ईसीएस डेबिट टेलीफोन, बिजली, पेयजल का बिल, उपकर/ कर संग्रहण, ऋण किश्तों के पुनर्भुगतान, पारस्परिक निधियों के आवधिक निवेशों इत्यादि के लिए उपयोगी है जो कि संस्थाओं को देय और आवधिक एवं पुनरावृत्तीय किस्म के होते हैं।
ईसीएस (क्रेडिट)
ईसीएस क्रेडिट को कोई भी संस्था शुरू कर सकती है जिसे बहुत से हिताधिकारियों को थोक एवं पुनरावृत्ति किस्म के भुगतान करने होते हों। संस्थागत प्रयोक्ताओं को पहले ईसीएस केन्द्र में पंजीकरण कराना होता है। प्रयोक्ता को ईसीएस क्रेडिट में सहभागी होने से पूर्व हिताधिकारी की सहमति और उसका बैंक खाता विवरण लेना होता है।
जो उपयोगकर्ता ईसीएस क्रेडिट के माध्यम से भुगतान करना चाहते हैं उन्हें किसी अनुमोदित ईसीएस केन्द्र में हिताधिकारी का विवरण जैसे (नाम, बैंक / शाखा / हिताधिकारी का खाता संख्या, गंतव्य बैंक शाखा का माइकर कोड, आदि), तथा वह तारीख जिस में हिताधिकारी को क्रेडिट दिया जाना है, को एक निर्धारित प्रारूप (इनपुट फाइल) में अपने प्रायोजक बैंक को भेजना होता है। भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट में http://www.rbi.org.in/scripts/ECSUser.aspx. पर ईसीएस क्रेडिट की सुविधा प्रदान करने वाले केंद्रों की सूची उपलब्ध है।
ईसीएस केंद्र का प्रबंधन करने वाला बैंक तब प्रायोजक बैंक का खाता निर्धारित दिन को डेबिट करता है और गंतव्य बैंक का खाता क्रेडिट करके गंतव्य बैंक शाखाओं के माध्यम से अन्तिम हिताधिकारी का खाता क्रेडिट करता है।
भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट में ईसीएस क्रेडिट योजना के बारे में अधिक जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक की वेवसाइट http://www.rbi.org.in/scripts/ECSUser.aspx पर प्राप्त कर सकते हैं।
माइकर (चुंबकीय स्याही चिह्न पहचान) एक आदिवर्णिक शब्द है। माइकर कोड अंकीय कोड है जो ईसीएस क्रडिट योजना में भाग लेने वाले बैंक की शाखा को विशिष्ट रूप से चिन्हित करता है यह बैंक शाखा के स्थान को चिन्हित करने के लिए 9 अंकीय कोड है, पहले 3 अक्षर शहर का प्रतिनिधित्व, अगले 3 अक्षर बैंक और आखिरी 3 अक्षर शाखा को प्रदर्शित करते है। बैंक शाखाओं द्वारा जारी चेक के माइकर बैंड पर बैंक शाखाओं एवं उनको आवंटित माइकर कोड (बैंक शाखा को आवंटित माइकर कोड अंकित रहता है) की सूची भारतीय रिजर्व बैंक की वेवसाइट http://www.rbi.org.in/Scripts/bs_viewcontent.aspx?Id=2051 पर उपलब्ध है।
ईसीएस क्रेडिट योजना में सहभागी होने हेतु हिताधिकारी ईसीएस क्रेडिट देने वाली संस्था को मैंडेट के माध्यम से इस सुविधा का उपयोग करने के लिए अपनी सहमति देगा। मेंडेट में उसकी बैंक शाखा एवं खाते का विवरण होगा और ईसीएस क्रेडिट देने वाली बैंक को गंतव्य बैंक शाखा के साथ उसके खाते से क्रेडिट लेने के लिए प्राधिकृत करेगा।
हाँ। इस कार्य के लिए एक मॉडल मैंडेट फार्म निर्धारित (ईसीएस क्रेडिट प्रक्रियागत दिशानिदेश में http://www.rbi.org.in/scripts/ECSUser.aspx उपलब्ध) किया गया है। प्रतिभूति बाजार नियामक (सेबी) ने भी निवेशकों को शेयर आवेदनपत्र में बैंक खाता विवरण देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं जिससे उसे उनके ब्याज/ लाभांश वारंट पत्रक पर मुद्रित किया जा सके। इससे ईसीएस क्रेडिट देने वाली संस्था को हिताधिकारियों से बैंक खाता विवरण और मैंडेट एकत्र करने में कोई कठिनाई नहीं होगी । एक बार डाटाबेस तैयार होने, उसका रखरखाव करने और ईसीएस क्रेडिट देने वाली संस्थाओं द्वारा अद्यतन करते रहने पर गंतव्य बैंकों द्वारा भुगतान प्रक्रिया सहज और आसान हो जाती है।
हाँ। मैंडेट के तहत दी गई खाता जानकारी/विवरण में कोई परिवर्तन होने पर हिताधिकारी को उसे ईसीएस क्रेडिट देने वाली संस्था को संबंधित परिवर्तन करने हेतु इस अनुरोध के साथ अवगत कराना है कि उसे इस योजना के तहत क्रेडिट प्राप्त होता रहे। यदि इनपुट फ़ाइल गंतव्य बैंक शाखा के पास उपलब्ध खाता विवरण से किसी भी कारण से मेल न खाये तो गंतव्य शाखा उसे ((अपने पूलिंग केन्द्र सेवा शाखा के नाम से ज्ञात के माध्यम से ) प्रायोजक बैँक को ईसीएस केन्द्र के माध्यम से क्रेडिट वापस कर देगा।
यह ईसीएस क्रेडिट देने वाली संस्था की जिम्मेदारी है कि हिताधिकारी को उसके खाते के क्रेडिट जैसे क्रेडिट की प्रस्तावित दिनांक, राशि और संबंधित भुगतान विवरण सूचित करे।
गंतव्य बैंकों को सूचित किया गया है कि वे पासबुक/ हिताधिकारी खाता धारक को दिया जाने वाला विवरण/ ईसीएस क्रेडिट देने वाली संस्था द्वारा दिये जाने वाले क्रेडिट की जानकारी उपलब्ध कराना सुनिश्चित करे। हिताधिकारी ईसीएस क्रेडिट देने वाली संस्था से प्राप्त सूचना से मिलान कर सकते हैं। कई बैंक मोबाइल अलर्ट/ संदेशों से ग्राहकों को निधियां क्रेडिट होने पर सूचना देते हैं।
ईसीएस क्रैडिट लाभार्थी को कई सुविधाएं प्रदान करता है :
- हिताधिकारी को कागज लिखतों को जमा करने के लिए बैंक जाने की जरूरत नहीं है जैसा कि ईसीएस क्रेडिट न लेने की स्थिति में होता।
- हिताधिकारी को वास्तिविक लिखतों के खो जाने / चोरी होने अथवा धोखाधड़ीपूर्ण नकदीकरण होने का भय नही रहता है ।
- लागत कम है।
ईसीएस क्रेडिट देने वाली संस्था को इससे कई लाभ हैं:
• प्रशासनिक व्यवस्था, मुद्रण, प्रेषण और कागज लिखतों के समाधान में होने वाली बचत ईसीएस क्रेडिट नहीँ अपनाने की स्थिति में प्राप्त नहीं होती।
• पारगमन में लिखतों के खोने/ चोरी होने और धोखाधड़ीपूर्ण नकदीकरण होने की संभावना नहीं है।
• दक्ष भुगतान माध्यम जिसमें निर्धारित दिनांक को हिताधिकारियों को क्रेडिट मिलना सुनिश्चित है।
•लागत कम है।
हाँ, बैंकिंग प्रणाली को ईसीएस क्रेडिट से निम्नलिखित लाभ हैं:
• कागजी संव्यवहारों से मुक्ति जिसके परिणामगत लाभ यथा समाशोधन में दी गई लिखतों को सभालना, निगरानी करना। जो हिताधिकारी (गंतव्य बैंक शाखाओं के साथ खातों वाले) को ईसीएस क्रेडिट नहीं लेने पर प्राप्त नहीं होते।
• प्रसंस्करण और गंतव्य बैंक शाखाओं द्वारा वापिसी में आसानी।
• प्रायोजक बैंकों के लिए सहज समाधान प्रक्रिया।
• कम लागत है ।
नहीं, व्यक्तिगत संव्यबहारों में कोई राशि सीमा नहीं है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रायोजक बैंक द्वारा ईसीएस क्रेडिट देने वाली संस्था पर लगाये जाने वाले प्रभारों को नियंत्रण मुक्त किया है। तथापि प्रायोजक बैंक को इन प्रभारों का खुलासा पारदर्शी रूप से करना होगा। ईसीएस केन्द्रों द्वारा कोई भी प्रसंस्करण प्रभार नहीं लिया जाता है, मार्च 31, 2010 तक इनमें छूट दी गई है।। गंतव्य बैंक शाखाओं को निदेश दिया गया है कि सभी हिताधीकारी खाताधारकों को निशुल्क ईसीएस क्रेडिट सुविधा दें।
हाल ही अक्टूबर 2008 में ईसीएस क्रेडिट का एक केन्द्रीयकृत वर्जन नेशनल ईसीएस (एनईसीएस ) प्रारंभ किया गया है। एनईसीएस में केन्द्र अथवा भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिबंध नहीं है। यह प्रणाली बैंकों द्वारा प्रयुक्त केन्द्रीयकृत लेखा प्रणाली से जुड़ी है। तदनुसार भुगतान अनुदेश प्राप्त करने/ भेजने वाले बैंको के खाते केन्द्रीयकृत रूप से मुंबई में डेबिट अथवा क्रेडिट किये जाते हैं। तथापि एनईसीएस में सहभाग लेने वाली शाखाएं देश के किसी भी भाग में स्थित हो सकती है।
बैंकें अपनी कोर बैंकिंग से जुड़ी किसी भी क्षेत्र में स्थित शाखाओं को एनईसीएस में शामिल करने के लिए स्वतंत्र हैं। वर्तमान में 114 बैंकों की लगभग 32000 शाखाएं एनईसीएस में सहभागी है। भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Content/PDFs/87706.pdf. पर एनईसीएस योजना का विवरण प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक, राष्ट्रीय समाशोधन केन्द्र, प्रथम तल, फ्री प्रेस हाउस, नारीमन प्वाइंट, मुंबई- 400021 से एनईसीएस में सहभागी बैंक शाखाओं की सूची प्राप्त की जा सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक के बंगलौर क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा ईसीएस क्रेडिट प्रणाली का एक और संस्करण क्षेत्रीय ईसीएस (आरईसीएस ) क्रेडिट शुरु किया है। आरईसीएस के अंतर्गत कर्नाटक राज्य में स्थित सभी कोर बैंकिंग आधारित शाखाएं शामिल होंगी और राज्य के भीतर हिताधिकारियों तक पहुंचने की इच्छुक संस्थाओं द्वारा इसका उपयोग किया जा सकता है। यह प्रणाली बैंकों की केंद्रीकृत लेखांकन प्रणाली का लाभ लेती है। तदनुसार भुगतान अनुदेश प्राप्त करने/ भेजने वाले बैंकों के खाते केन्द्रीयकृत रूप से बंगलौर में डेबिट अथवा क्रेडिट किये जाते हैं। तथापि आरईसीएस में सहभाग लेने वाली शाखाएं राज्य के किसी भी भाग में स्थित हो सकती है।
ईसीएस (डेबिट)
ईसीएस डेबिट संव्यवहार किसी भी संस्था द्वारा प्रारंभ किया जा सकता है (जिसे ईसीएस डेबिट उपयोगकर्ता कहा जाता है) और वह संस्था टेलीफोन/ बिजली/ पानी के बकाया, उपकर/ कर वसूली, ऋण की किस्त के भुगतान, म्युचुअल फंड में आवधिक निवेश के लिए धनराशि प्राप्त/संग्रह करती हो। इस योजना में किसी बैंक शाखा का कोई खाता धारक किसी ईसीएस प्रयोक्ता को एक निर्धारित आवृत्ति में उसका बैंक खाता डेबिट करके निर्धारित राशि वसूलने के लिए प्राधिकृत कर सकता है।
संस्थागत उपयोगकर्ता को पहले किसी ईसीएस केंद्र के साथ पंजीकरण करवाना होता है। भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के
http://www.rbi.org.in/scripts/ECSUser.aspx. पर अनुमोदित ईसीएस डेबिट केन्द्रों की सूची उपलब्ध है। संस्थाओं को ईसीएस डेबिट योजना में सहभागी होने से पूर्व अपने ग्राहकों से प्राधिकार और उनका बैंक खाता विवरण भी लेना होगा। उपयोगकर्ता संस्थानों को अपने ग्राहकों से प्राधिकृत प्रपत्र (मैंडेट) के माध्यम से ग्राहक के बैंक शाखा से प्राप्त पावती के साथ विवरण लेना होगा। मैंडेट की एक प्रतिलिपि गंतव्य बैंक की उस शाखा के रिकार्ड में उपलब्ध होना चाहिए, जहाँ ग्राहक का बैंक खाता हो।
ईसीएस डेबिट प्राप्तियों को पाने के इच्छुक ईसीएस डेबिट उपयोगकर्ताओं को ग्राहकों का ब्यौरा जैसे (नाम/ बैंक / शाखा / ग्राहक का खाता सं।, गंतव्य बैंक शाखा का माइकर कोड, आदि), ग्राहक का खाता, डेबिट किये जाने की तारीख,आदि) को विशिष्ट फार्मेट (इनपुट फाइल) में प्रायोजक बैंक के माध्यम से ईसीएस केंद्र को प्रस्तुत करना होता है। भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट http://www.rbi.org.in/scripts/ECSUser.aspx. पर ईसीएस डेबिट सुविधा वाले केन्द्रों की ईसीएस केंद्र का प्रबंध करने वाला बैंक इस ब्यौरे को गंतव्य बैंक को भेजता है जिससे गंतव्य बैंक शाखा में ग्राहक के खाते को डेबिट किया जा सके और प्रायोजक बैंक का खाता क्रेडिट करके उसे उपयोगकर्ता संस्था को क्रेडिट किया जा सके । गंतव्य बैंक शाखाएं ईसीएस केन्द्र से प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक अनुदेशो को कागजी चेक के समान मानेंगे और तदनुसार उनके यहां परिचालित ग्राहक का खाता डेबिट करेंगे। सभी गैर प्रसंस्क्रित डेबिट को प्रायोजक बैंक को निर्धारित समय सीमा के भीतर लौटा (आगे उपयोगकर्ता संस्था को वापिस करने के लिए) दिया जाता है।
ईसीएस डेबिट योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट http://www.rbi.org.in/scripts/ECSUser.aspx पर ईसीएस डेबिट प्रक्रियागत दिशानिर्देशों का संदर्भ लिया जा सकता है।
ईसीएस डेबिट के ग्राहकों को लाभ निम्नानुसार हैं:
• ईसीएस डेबिट मैंडेट से ग्राहकों का खाता नियत तारीख को स्वत: डेबिट हो जायेगा ग्राहक को बैंक शाखा में जाने की जरूरत नहीं है।
• ग्राहकों को भुगतानों की नियत तारीख याद रखने की जरूरत नहीं है।
• ईसीएस प्रयोक्ताओं द्वारा ग्राहकों के खाते की निगरानी की जाएगी।
•लागत कम है।
ईसीएस डेबिट स्कीम से उपयोगकर्ता संस्थानों कई लाभ है:
• ग्राहको से चेक इकट्ठा करके उन्हें समाशोधन में प्रस्तुत करने उनकी वसूलीऔर समाधान करने में प्रशासनिक मशीनरी की बचत करना।
• बकाया राशि की नियत दिनांक को उगाही/वसूली के कारण नकदी का उचित प्रबंधन होता है।
• पारगमन में लिखतो के चोरी होने/ खो जाने, कागजी लिखतो को धोखाधड़ीपूर्वक लेने और उसका और नकदीकरण कराने की संभावना से बचना।
• लागत कम ।
बैंकिंग प्रणाली को ईसीएस डेबिट से बहुत से लाभ हैं जैसे:
• कागजी प्रक्रियाओं से मुक्ति और ईसीएस डेबिट का विकल्प नहीं देने वाले ग्राहको को समाशोधन में प्रस्तुत कागजी लिखतों प्राप्त/ निगरानी करने एवं संचलन में देरी,-(गंतव्य बैंक शाखाओं के खाताधारक) के कारण नुकसान।
• गंतव्य बैंक शाखाओं के लिए प्रसंस्करण और वापिसी कार्य में आसानी। गंतव्य बैंक शाखाओं को ग्राहकों से संबंधित मैंडेट की जांच करना है। उन्हें खाता विवरण जैसे नाम। खाता सं। आदि का मिलान करके ग्राहकों के खातों को डेबिट करना है। जहाँ पर विवरण मेल नही खाता, लिखत को वापस कर दिया जाए।
• प्रायोजक बैंकों के लिए समाधान प्रक्रिया आसान।
• लागत कम है।
हाँ। ईसीएस डेबिट किसी ग्राहक द्वारा जारी किए गए चेक समान है। ग्राहक को गंतव्य बैंक शाखा के अपने खाते में पर्याप्त धन रखना होता है जिससे ईसीएस डेबिट अनुदेशों को प्रस्तुत किये जाने पर उसकी वसूली सुनिश्चित की जा सके। मैंडेट को वापस लेने अथवा बंद करने की आवश्यकता होने पर ग्राहक को ईसीएस उपयोगकर्ता संस्था को समय रहते नोटिस देना होगा जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि ग्राहक द्वारा वापस/ बंद किये गये मैंडेट के ईसीएस डेबिट संबंधी विवरण को इनपुट फाइल में शामिल नहीं किया गया है। ग्राहक द्वारा मैंडेट को वापस/ बंद की प्रविधि को ईसीएस डेबिट प्रक्रियागत दिशानिदेशों में शामिल किया गया है।
हाँ। संबंधित ग्राहक और ईसीएस उपयोगकर्ता इन पहलुओं को तय करता है। मैंडेट में डेबिटकी जाने वाली राशि की सीमा दी जा सकती है, इसमें डेबिट के उद्देश्य तथा वैधता अवधि को निर्दिष्ट कर सकते हैं।
नहीं, व्यक्तिगत संव्यबहारों में ईसीएस डेबिट द्वारा संग्रहित की जाने वाली राशि की कोई सीमा नही है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रायोजक बैंक द्वारा उपयोगकर्ता संस्थाओं पर लगाये जाने वाले प्रभारों को नियंत्रण मुक्त कर दिया है। तथापि प्रायोजक बैंक को इन प्रभारों का खुलासा पारदर्शी रूप से करना होगा। ईसीएस केन्द्रों द्वारा कोई भी प्रसंस्करण प्रभार नहीं लिया जाता है, मार्च 31, 2011 तक इनमें छूट दी गई है। बैंक शाखाएं सामान्यत: ग्राहकों के खातों डेबिट करने के लिए प्रसंस्करण शुल्क/सेवा प्रभारों को नहीँ लेती है।
स्त्रोत: रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया
अंतिम सुधारित : 10/28/2019
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